पशुपालनगांव कनेक्शन
गर्मी के मौसम में पशुओं को लू से बचाएं
गर्मी के मौसम में पशुपालकों को पशुओं की अधिक देखभाल करने की आवश्यकता होती है। इस समय अधिक तापमान और हवा के गर्म थपेड़ों से पशुओं को लू लगने का खतरा रहता है। लू लगने से पशुओं की त्वचा सिकुड़ जाती है साथ ही दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन की क्षमता भी घट सकती है। पशुपालक पशुओं का सही समय पर उपचार कर उन्हें बचा सकते हैं। अगर पशु गंभीर अवस्था में हो तो तुरंत पशु चिकित्सक के पास जाएं।
लक्षण
पशुओं को लू लगने पर 106 से 108 डिग्री तेज बुखार होता है पशु सुस्त होकर खाना-पीना छोड़ देता है मुंह से जीभ बाहर निकलती है तथा सांस लेने में कठिनाई होती है मुंह के आसपास झाग आ जाता है।
उपचार_x000D_
• इस मौसम में पशुओं को प्यास अधिक लगती है। पशु को दिन में कम से कम तीन बार पानी पिलाएं। जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। _x000D_
• इसके अलावा पशु को पानी में थोड़ी मात्रा में नमक और आटा मिलाकर पिलाना चाहिए।_x000D_
• पशु के बाड़े में शुद्ध हवा आने-जाने के लिए रोशनदान होना चाहिए।_x000D_
• गर्मी में पशु को दिन में नहलाना चाहिए खासतौर पर भैंसों को ठंडे पानी से नहलाना चाहिए।_x000D_
• पशुओं को ठंडा पानी पर्याप्त मात्रा में पिलाना चाहिए। _x000D_
• पशुओं को टीन या कम ऊंचाई वाली छत के नीचे नहीं बांधना चाहिए। _x000D_
• पशुओं को हरा चारा दें, हरा एवं पौष्टिक चारा अधिक ऊर्जा प्रदान करता है तथा हरे चारे में 70-90 प्रतिशत तक पानी की मात्रा होती है, जो समय-समय पर जल की पूर्ति करता है। _x000D_
_x000D_
स्रोत – गांव कनेक्शन
यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगे, तो फोटो के नीचे दिए पीले अंगूठे के निशान पर क्लिक करें और नीचे दिए विकल्पों के माध्यम से अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा करें।