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खरपतवार नियंत्रण
सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
खरपतवार नियंत्रण
खेत में उत्पादन बढ़ाने के लिए, निविष्टों के उचित उपयोग करके अधिक उपज निकालना आवश्यक हो गया है। फसलों की बढ़ती अवधि में खरपतवार के नियंत्रण की विशेष देखभाल के कारण हानि कम प्रमाण में होता है। खरपतवार के वजह से पोषक तत्व, पानी, प्रकाश और जगह के लिए स्पर्धा होते है।
• खरपतवार के कारण होनेवाली हानि कई प्रकार के हैं। 1. खरपतवार के कारण उत्पादन में कमी 2. फसल की गुणवत्ता में कमी 3. उत्पादन लागत बढ़ जाती है। 4. पानी की आपूर्ति क्षमता में कमी 5. उपकरण क्षतिग्रस्त हो जाते है। • खरपतवार फसल के साथ पानी, पोषक तत्व और प्रकाश के लियी स्पर्धा करते है। फसल उत्पादन में 16 से 60 प्रतिशत तक कम सकता है। • खरपतवार बढ गई खेत से निकाली जाने वाली फसल में खरपतवार की बीज और अवशेष रहते है इसके कारण बाजार मूल्य कम हो जाते है बल्कि उसका उपज ही ख़राब हो जाते है। उदाहरण के लिए मेथी,पालक आदि जैसी सब्जियों के साथ मिश्रित खरपतवार की हरी पत्तियों के उसके दर में कमी आ सकती है। • फसल उत्पादन की लागत का 30% खर्च खेती पर हो जाते है अगर खरपतवार ज्यादा है, तो व्यय बढ़ता है। • जब फसल क्षेत्र में नहीं होती है, तो कीट स्टेम पर रहते है और जब फसल उग जाता है तो उस पर आता है और इसे नुकसान पहुंचाता है। • पानी के नाला में वृद्धि हुई खरपतवार के कारण इसकी वाहक क्षमता कम हो जाती है, बहने वाली पानी की गति घट जाती है। • खरपतवार के नियंत्रण के लिए कुछ निवारक उपाय • साफ बीज का उपयोग करें। प्रमाण से अधिक खरपतवार बीज के कारण खरपतवार फ़ैल जाता है। • अच्छी कंपोस्ट और गोबर खाद का उपयोग करना ताकि खरपतवार अंकुरण की क्षमता नहीं हो सके। • खेत के बांध, परती भूमि, पानी की नाले का खरपतवार समय पर निकलना चाहिए। - फसल में खरपतवार का नियंत्रण निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है • मैकेनिकल पद्धति- इसमें मुख्य रूप से हाथ से निराई करना और फावड़े का प्रयोग किया जाता है। • रासायनिक पद्धति - खरपतवार नाशी का उपयोग • जैविक पद्धति - विभिन्न जीवों, बैक्टीरिया, कवक, कीड़े आदि का उपयोग • एकीकृत पद्धति - एक ही समय में खरपतवार नियंत्रण के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल करना - फसल में से खरपतवार नियंत्रण • ज्वार- बाजार एट्राजीन खरपतवार नाशी 200 ग्रा/एकड़ 400 लीटर पानी के मिलाके रोपण के पहले छिड़काव करना चाहिए और छः सप्ताह में एक निराई करना चाहिए। • मक्का- एट्राजीन 400 ग्रा/एकड़ 400 लीटर पानी में मिलाके बीज बोने से पहले छिड़काव करना चाहिए। छः सप्ताह में निराई करना चाहिए। • कपास- पेन्डीमेथॅलीन 300 ग्रा/एकड़ 400 लीटर पानी का छिड़काव करना चाहिए और छः सप्ताह में निराई करना चाहिए। • गन्ना- बीज बोने से पहले, 400 लीटर पानी में एट्राज़ीन 400 ग्राम / एकड़ छिड़काव करें, आठ सप्ताह में निराई किया जाना चाहिए। • सोयाबीन- पेन्डीमेथॅलीन 300 ग्रा/एकड़ में 400 लीटर पानी का छिड़काव और छः सप्ताह में निराई करना चाहिए - खरपतवार नाशी का छिड़काव करते समय का देखबाल • खरपतवार नाशी का छिड़काव हमेशा जब तेज हवा नहीं रहता है तभी करना चाहिए। • खरपतवार नाशी का छिड़काव बादल छाया हुआ वातावरण में नहीं करना चाहिए। • छिड़काव के बाद, क्षेत्र में 3 से 4 सप्ताह तक कोई अन्य खेती नहीं की जानी चाहिए। • खरपतवार नाशी का छिड़काव करते समय पीठ पर का नॉपसैक का उपयोग करना चाहिए। • खरपतवारनाशक की खरीदी करते समय तारीख की जाँच करें।
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