AgroStar
सभी फसलें
कृषि ज्ञान
कृषि चर्चा
अॅग्री दुकान
क्या है संरक्षित खेती, जिसमें जलवायु परिवर्तन के बावजूद नहीं पड़ेगा उत्पादन पर असर!
कृषि वार्ताTV9
क्या है संरक्षित खेती, जिसमें जलवायु परिवर्तन के बावजूद नहीं पड़ेगा उत्पादन पर असर!
🌱भविष्य में खेती-किसानी पर जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर पड़ने वाला है. भारतीय कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के अध्ययन में निष्कर्ष निकला है कि भारत में सिंचित चावल की पैदावार में वर्ष 2050 तक 7 फीसदी और वर्ष 2080 के परिदृश्य में 10 फीसदी तक की कमी होगी. वर्ष 2100 में गेहूं की पैदावार में 6-25 फीसदी और मक्का की पैदावार में 18-23 परसेंट तक की कमी आने का अनुमान लगाया गया है. ऐसे में किसान क्या करेगा? उसे तकनीक का सहारा लेना होगा. इसका एक बेहतर विकल्प संरक्षित खेती है! 👉दरअसल, संरक्षित खेती एक ऐसी कृषि तकनीक है, जिसके जरिए किसान फसलों की मांग के अनुसार वातावरण को नियंत्रित करके मंहगी फसलों के लिए वातावरण तैयार करते हैं. जिसमें धूप, छांव, गर्मी व ठंडक का अधिक प्रभाव न हो. जिस पर तेज बारिश और हवाओं का प्रकोप भी न हो और कीटों के दुष्प्रभाव से भी बचाया जा सके! 👉इसके लिए ग्रीन हाउस, कीट अवरोधी नेट हाउस, पॉलीहाउस, प्लास्टिक लो-हाई टनल और ड्रिप इरीगेशनका इस्तेमाल होता है. जिससे जलवायु परिवर्तन के बावजूद फसल उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ता! ज्यादा समय तक पैदा कर सकते हैं फसल- 👉वर्तमान में नीति आयोग की सीनियर एडवाइजर (एग्रीकल्चर) डॉ. नीलम पटेल ने पूसा में पांच साल तक इंडो-इजराइल प्रोजेक्ट के तहत संरक्षित खेती पर काम किया हुआ है. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में हाईटेक हार्टिकल्चर के सभी कंपोनेंट एक साथ मौजूद होते हैं. जो टमाटर हमारे यहां खेतों में चार महीने होता है वो संरक्षित खेती में 10 महीने तक पैदा होता है! इस तकनीक में कौन-कौन से देश हैं आगे- 👉इजराइल के कृषि वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इस तकनीक को भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों तक ले जाने का काम किया है. हालांकि इस तरह की खेती की शुरुआत भारत में 1980 में ही हो गई थी, लेकिन उसे मिशन मोड में अब जाकर शुरू किया गया है, ताकि इसको बढ़ावा मिले. ऐसी खेती के लिए केंद्र और राज्य सरकारें सब्सिडी दे रही हैं. इजराइल के अलावा चीन, नीदरलैंड और हॉलैंड इस क्षेत्र में काफी आगे हैं. हमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इसे बढ़ाने पर काम करने की जरूरत है! आर्थिक सर्वेक्षण में भी जाहिर की गई थी चिंता- 👉आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में भी जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र पर होने वाले असर पर चिंता जाहिर की गई है. जिस साल तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी उस साल खरीफ सीजन के दौरान किसान की इनकम 6.2 प्रतिशत गिरेगी. जबकि बारिश वाले जिलों में रबी सीजन के दौरान आय में 6 प्रतिशत की गिरावट होगी. सर्वेक्षण के मुताबिक जिस साल बारिश औसत से 100 मिलीमीटर कम होगी, उस साल खरीफ सीजन के दौरान किसानों की इनकम में 15 फीसदी और रबी सीजन के दौरान 7 परसेंट की कमी होगी! स्त्रोत:- TV9 👉 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
13
1
अन्य लेख