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केले की फसल से जल निकास कर पायें जड़ गलन रोग पर नियंत्रण !
आज का सुझावएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
केले की फसल से जल निकास कर पायें जड़ गलन रोग पर नियंत्रण !
केला की फसल ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है। लेकिन इसमे थोड़ी सी असावधानी होने पर नुकसान की आशंका भी हमेशा अधिक बनी रहती है। इसलिए जरूरी है कि अच्छी पौध होने के साथ-साथ फसल की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें। बारिश के मौसम में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। अतिरिक्त पानी को खेत में से निकाल दें क्योंकि यह पौधों की जड़ और वृद्धि को प्रभावित करता है। खेत में अधिक पानी रुकने से जड़ गलन रोग का प्रकोप हो सकता है। इस रोग का प्रकोप मुख्यतः नये पौधों में अधिक देखा गया है। पौधे में इस रोग का लक्षण जड़ और तने के निचले हिस्से में दिखाई देता है। इस रोग से जड़ें काली पड़ जाती है और जड़ों से भारी दुर्गंध निकलती है। प्रभावित पौधों को जड़ क्षेत्र से चीर कर देखें तो पीले रंग से लाल रंग के लक्षण दिखाई देते है। इसके रोकथाम के लिए गंभीर रूप से प्रकोपित पौधे को उखाड़कर खेत से बाहर निकाल दें। क्योंकि यह रोग पौधे के अवशेष द्वारा खेत में अन्य पौधों में अधिक फैलता है। प्ररम्भिक प्रकोप दिखने पर कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50% डब्ल्यू. पी. @ 2 ग्राम + बेल्डामायसिन 3% एस.एल. @ 2 मिली / लीटर पानी में घोल बनाकर प्रकोपित पौधे की जड़ों में ड्रेंचिंग से दें।
स्रोत:- एग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस प्रिय किसान भाइयों दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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