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केला होगा स्वस्थ और उपज जबरदस्त!
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केला होगा स्वस्थ और उपज जबरदस्त!
👉आम के बाद केले की खेती देश में सबसे अधिक मात्रा में की जाती है, भारत केले के उत्पादन में पहला स्थान रखता है| भारत में केले की खेती 8.6 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में की जाती है जिसका उत्पादन 30.5 मिलियन मीट्रिक टन है | भारत में केले की उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 34 मीट्रिक टन है. 👉केले में लगने वाले मुख्य कीट एवं उनके नियंत्रण👈 👉केला प्रकंद घुन/छेदक :- कांस्मोपालिटस सोर्डिड्स (जर्मर) (कोलाप्टेरा: कर्कुलायोनी) संक्रमण के लक्षण शुरू में संक्रमण होने पर केले के पौधों का विकास तथा पौधे की चमक कम हो जाती है, इसके अलावा संक्रमित पौधे बीमार दिखने लगते हैं | पत्ती के ऊपर पीली रेखाओं का दिखना इस संक्रमण का प्रारंभिक लक्षण है | 👉संक्रमण बढने पर पौधों का उपरी सिरा पतला हो जाता है तथा पत्तियां कम आकार में छोटी निकलती है | प्रकन्द के आगे के भाग में कीट के कारण हुए नुकसान से फलों के गुच्छे कम तथा छोटे दीखते हैं | अधिक संक्रमण की दशा में उत्पादकता में 50% की कमी हो सकती है | 👉नियंत्रण:- 1.केले के पौधों में घुनों को रोकने के लिए समय–समय पर खरपतवार को निकालते रहना चाहिए, इसके साथ ही पौधों को गंदगी से बचाकर रखें | 2.पौधों के जड़ों में छेद करने वाले कीटों को मारने के लिए रोपाई के पूर्व 0.05 प्रतिशत क्लोरपाइरीफास से मृदा का उपचार करना चाहिए | केले के पौधों को भी उपचारित करना चाहिए | 3.इसके बाद साफ़–सफाई करके क्लोरपाइरीफास (2.5 मि.ली. / लिटर जल) से उपचारित करें, जिससे घुनों को मारने में सहायता मिलती है | 4.घुन तथा प्रकंदों को क्षति पहुँचाने वाले कीट केले के पौधों से निकलने वाले वाष्पशील गैसिय पदार्थों के प्रति आकृष्ट होते हैं. 5.अत: इस परिस्थिति में केले के एक पेड़ को दो बराबर भागों में फाड़े (45 से 50 से.मी. लम्बे) | इसके बाद फाड़े हुए तने को इस प्रकार रखें की कटा हुआ भाग भूमि की तरफ (प्रकाश सीधे कटे भाग पर न पहुँचे) इस स्थिति में कटे पौधों से निकलने वाले वाष्पशील गैसों के प्रति कीट आकर्षित होकर आ जायेंगे | 👉स्त्रोत:-Agrostar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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