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केला में पनामा विल्ट रोग से कैसे पाएं निजात!
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केला में पनामा विल्ट रोग से कैसे पाएं निजात!
केले की फसल पैदा करने वाले देशभर के किसानों के लिए पनामा विल्ट बीमारी नई मुसीबत के रूप में सामने आई है। यह बीमारी उनकी लाखों की फसल चौपट कर रही है। आइये जानते हैं इस बीमारी के लक्षण और रोकथाम के उपाय। क्या है पनामा विल्ट बीमारी? यह एक फफूंदी जनित रोग है। इस संक्रमण से केले की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो सकती है। पनामा विल्ट फ्यूजेरियम विल्ट टीरआर-2 नामक फंगस से होती है। जो केले के पौधों की वृद्धि को रोक देता है। इस बीमारी के लक्षण की बात करें तो केले के पौधें की पत्तियां भूरे रंग की होकर गिर जाती है और तना भी सड़ने भी लगता है। यह बेहद घातक बीमारी मानी जाती है जो केले की पूरी फसल को बर्बाद कर देती है। कैसे पाएं निजात इसकी रोकथाम को लेकर केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन का कहना है कि वैज्ञानिकों और किसानों के सामूहिक प्रयास से इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है। उनका कहना है कि पूरी दुनिया में पनामा विल्ट की कोई कारगर दवाई नहीं है। हालांकि सीआईएसएच के वैज्ञानिकों ने आईसाआर-फुसिकांट नाम की दवाई बनाई है। इस दवाई के प्रयोग से बिहार समेत अन्य राज्यों के किसानों को फायदा मिला है। पिछले तीन साल से सीआईएसएच किसानों की केले की फसल बचाने का प्रयास कर रहा है। इसलिए देशभर के किसानों तक यह दवाई पहुँचाने के प्रयास किये जा रहे हैं। हालांकि डॉ. राजन का कहना है कि आईसाआर-फुसिकांट अभी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं लेकिन यह कमी जल्द ही दूर की जा सकेगी।
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