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केमिकल खाद से जल्द मिलेगा किसानों को छुटकारा!
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केमिकल खाद से जल्द मिलेगा किसानों को छुटकारा!
👉नमस्कार किसान भाइयों स्वागत है आप सभी का हमारे एग्रोस्टार के कृषि लेखा में,केमिकल खाद से जल्द मिलेगा किसानों को छुटकारा!रिपोर्ट कहती है कि इस स्कीम के बारे में राज्यों से सुझाव भी मांगा गया है. अगर यह स्कीम शुरू होती है, तो इसके लिए सरकार की तरफ से अलग फंड का आवंटन नहीं होगा बल्कि मौजूदा फर्टिलाइजर सब्सिडी में ही इसका भी प्रावधान किया जाएगा. देश के किसानों और खेतों को जहरीले रासायनिक उर्वरकों से छुटकारा दिलाने के लिए केंद्र सरकार एक स्कीम लाने जा रही है. इस स्कीम का नाम है पीएम प्रनाम स्कीम स्कीम का पूरा नाम है- पीएम प्रमोशन ऑफ ऑल्टरनेटिव विटामिन्स फॉर एग्रीकल्चर एडमिनिस्ट्रेशन योजना. इस योजना का बड़ा मकसद यही है कि किसी भी तरह से केमिकल खाद पर से सब्सिडी का बोझ कम किया जाए. 👉क्या है सरकार की तैयारी:- मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि केमिकल कंपाउंड और फर्टिलाइजर मंत्रालय ने पीएम प्रनाम स्कीम का प्रस्ताव दिया है और इससे जुड़े मुद्दों के बारे में कुछ राज्यों से बात भी हुई है. रिपोर्ट कहती है कि इस स्कीम के बारे में राज्यों से सुझाव भी मांगा गया है. अगर यह स्कीम शुरू होती है, तो इसके लिए सरकार की तरफ से अलग फंड का आवंटन नहीं होगा बल्कि मौजूदा फर्टिलाइजर सब्सिडी में ही इसका भी प्रावधान किया जाएगा. 👉राज्यों को मिलेगा सब्सिडी का हिस्सा:- सूत्रों के हवाले से निकली यह रिपोर्ट कहती है कि उर्वरक सब्सिडी का 50 फीसद हिस्सा राज्यों को ग्रांट के रूप में दिया जाएगा ताकि वे उस पैसे का इस्तेमाल वैकल्पिक खादों के स्रोत पर कर सकें. इस ग्रांट का 70 फीसद हिस्सा गांवों, ब्लॉक और जिला स्तर पर वैकल्पिक उर्वरक बनाने की टेक्नोलॉजी, फर्टिलाइजर मैन्युफैक्चरिंग मॉडल तैयार करने में किया जाएगा. बाकी बचे 30 फीसद हिस्से का इस्तेमाल किसानों, पंचायतों, किसान उत्पादक संगठनों और स्व सहायता समूहों को जागरूक करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा. 👉बढ़ती सब्सिडी चिंता की वजह:- चालू वित्त वर्ष (2022-23) में सरकार ने सब्सिडी के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. उर्वरक मंत्री ने कहा है कि इस साल उर्वरक सब्सिडी का आंकड़ा 2.25 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है. 5 अगस्त को केंद्रीय रासायनिक यौगिक और उर्वरक राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने लोकसभा को दिए एक लिखित उत्तर के जवाब में कहा, 4 उर्वरकों की जरूरत – यूरिया, डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट), एमओपी (मुरीएट ऑफ पोटाश), एनपीकेएस (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम) – 2021-22 में देश में 21 प्रतिशत बढ़कर 640.27 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) हो गई, जो 2017-18 में 528.86 लाख मीट्रिक टन थी. 👉स्त्रोत:-Agrostar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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