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कृषि क्रांति का अगला कदम है नैनो यूरिया!
👉एक एकड़ खेत में 150 लीटर पानी में नैनो यूरिया की एक बोतल का घोल बनाकर इस्तेमाल किया जाता है. घोल के रूप में यूरिया देने से पौधों को पूरी मात्रा में नाइट्रोजन मिलती है. नैनो यूरिया के ट्रायल के दौरान फसलों में 8 से 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. नैनो यूरिया लिक्विड की आधा लीटर की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है.
👉किसान को फायदा:-
इफको के चीफ फील्ड मैनेजर बृजवीर सिंह ने बताया कि नैनो यूरिया लिक्विड की आधा लीटर की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन (Nitrogen) होता है. नाइट्रोजन की यह मात्रा सामान्य यूरिया के 45 किलोग्राम के एक बैग के बराबर होती है. एक बैग यूरिया में 46 परसेंट नाइट्रोजन होता है. लेकिन यूरिया का छिड़काव करने से नाइट्रोजन की पूरी मात्रा पौधों को नहीं मिल पाती है. किसान पौधों की बढ़वार के लिए ज्यादा मात्रा में यूरिया का इस्तेमाल करते हैं. इससे फसल की लागत तो बढ़ती ही है साथ में पर्यावरण को भी नुकसान होता है.
👉किसान की बचत:-
नैनो यूरिया की आधा लीटर बोतल की कीमत 240 रुपये (Nano Urea Price) है. यह एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त है. जबकि यूरिया के एक बैग की वर्तमान कीमत 266.50 रुपये है. और ज्यादातर किसान एक एकड़ खेत में एक से अधिक यूरिया बैग का इस्तेमाल करते हैं. नैनो यूरिया के इस्तेमाल से किसान को पैसे की बचत तो होगी ही साथ ही पैदावार ज्यादा मिलेगी और पर्यावरण महफूज रहेगा.
👉नैनो यूरिया से सरकार को फायदा:-
निश्चित ही नैनो यूरिया कृषि क्रांति का अगला कदम माना जा रहा है. किसानों को तो इसका फायदा होगा ही, साथ ही सबसे ज्यादा फायदा सरकार को होने वाला है. नैनो यूरिया से सरकार को सीधे-सीधे सब्सिडी की बचत होगी.
स्रोत:-Agrostar
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