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कुसुम में माहू का प्रबंधन
गुरु ज्ञानएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
कुसुम में माहू का प्रबंधन
कुसुम की फसल में माहू के संक्रमण के कारण भारी नुकसान होता है। इनके संक्रमण के कारण पौधे काले हो जाते हैं जिसकी वजह से पौधों में प्रकाश संश्लेषण की गतिविधि रूक जाती है और उनकी वृद्धि प्रभावित होती है। साथ ही उनका उत्पादन भी कम होता है।_x000D_ एकीकृत प्रबंधन -_x000D_ • जिस जगह पर माहू की आबादी कम हो वहां कुसुम की फसल की बुवाई करें।
• परभक्षी और परजीवियों की उपस्थिति से माहू की आबादी कम रहती है। • फसल में एफिड्स की शुरुआती अवस्था में नीम आधारित 10 मिलीलीटर (1.0% ईसी) से 40 मिलीलीटर (0.15% ईसी) प्रति 10 लीटर पानी में छिड़काव करें। • यदि वातावरण में आर्द्रता अधिक हो तो वर्टिसिलियम लैकानी, कवक आधारित कीटनाशक @ 40 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी का छिड़काव करें। • फास्फामिडोन 40 ईसी @ 10 मिली या एसिफेट 75 एसपी @ 10 ग्राम या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल @ 4 मिली या थायमेथोक्साम 25 डब्ल्यूजी @ 4 ग्राम या क्विनालफॉस 25 ईसी @ 20 मिली या डाइमेथोएट 30 ईसी @ 10 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। डॉ. टी.एम. भरपोडा, एंटोमोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर, बी ए कालेज ऑफ एग्रीकल्चर, आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद- 388 110 (गुजरात भारत)
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