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कुष्मांड कुल की सब्जियां
सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
कुष्मांड कुल की सब्जियां
कुष्मांड कुल की सब्जियों में पुष्प मोनोशियस होते हैं, अर्थात नर व मादा पुष्प एक ही बेल पर अलग-अलग आते हैं। इनके परागण की क्रिया मुख्य रूप से कीटों द्वारा होती है। कुष्मांड कुल की सब्जियों में तरबूज, खरबूजा, कद्दू, तुरई, लौकी, पैठा, चिरचंडा, परवल, ककड़ी, टिंडा, खीरा, करेला आदि प्रमुख है। जलवायु एवं भूमि: इनकी बैलों की अच्छी वृध्दि 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर होती है। इन पर पाले का प्रभाव बहुत अधिक होता है। इनके लिए उपजाऊ दोमट भूमि जहां पानी का निकास अच्छा हो, उत्तम होती है। इनकी खेती गर्मी और वर्षा दोनों रितुओं में की जाती है।
बुवाई का समय: तरबूज, खरबूजा व ककड़ी फरवरी-मार्च मैं तथा तुरई, खीरा, लौकी, कद्दू, करेला और टिंडे की बुवाई ग्रीष्मकालीन फसल के लिए फरवरी-मार्च में व वर्षाकालीन फसल की जून-जुलाई में करना उचित है। बीमारियों की रोकथाम के लिए बीजों को बौने से पूर्व थायरम 2 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित कर बोना चाहिए। बुवाई का समय इस बात पर निर्भर करता है कि इन सब्जियों की बुवाई नदी पेटे में की जा रही है, या समतल भूमि पर। अगेती फसल लेने के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं । चूंकि बीजों का अंकुरण 20 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर ठीक प्रकार से नहीं हो पाता हैं, अतः बीजों को सीधे खेत में ना बोकर प्लास्टिक की थैलियों में बोया जा सकता है। हथेलियों में 1/3 भाग चिकनी मिट्टी, 1/3 भाग बालू व 1/3 भाग मींगनी या गोबर की खाद मिलाकर एक थैली में 2 बीज को बोया जा सकता है। थैलियों को पॉलीथिन से डब्बे थैलियों को पॉलीथिन से ढक देवें। उपयुक्त तापमान होने पर तैयार खेत में रोपाई करें। सीधे खेत में बोने के लिए बीजों को बुवाई से पूर्व 24 घंटे पानी में भिगो दें, बाद में टाट में बांधकर 24घंटे रखें। उपयुक्त तापक्रम पर रखने से बीजों के अंकुरण की प्रक्रिया गतिशील हो जाती है, इसके बाद बीजों को खेत में बोया जा सकता है, इसे अंकुरण प्रतिशत बढ़ जाता है।
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