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किसान बनकर पढ़ते हैं छात्र!
👉🏻अभी तक आपने हमेशा क्लासरूम के अंदर ही छात्रों को पढ़ाई करते हुए देखा होगा, लेकिन जबलपुर के जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाई क्लासरूम में नही बल्कि खेत खलिहान और बगीचों में करवाई जा रही है. इस पढ़ाई का उद्देश्य छात्रों को किताबों से ज्यादा प्रैक्टिकल ज्ञान देना है. कृषि विश्विद्यालय के छात्र खेत में 1-2 घण्टे नहीं बल्कि 10 से 12 घण्टे रहते हैं।
👉🏻खेत की पढ़ाई खेत में ही भली -
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के छात्र इन दिनों क्लास रूम में नहीं बल्कि खेत खलिहान और बगीचों में जाकर पढ़ाई कर रहे हैं. खास बात यह है कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी छात्रों को इस तरह से पढ़ाकर खुश हैं. वह भी समझ रहे हैं कि छात्र थ्योरी के साथ-साथ अब प्रैक्टिकल के लिए भी पूरी तरह से तैयार हैं,ं.टोमोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ मोनि थॉमस इन छात्रों को खेत में ले जाकर ही पढ़ाई करवा रहे हैं।
👉🏻वाईफाई खेत😱,हाईटेक पढ़ाई -
छात्रों की लगन को देखते हुए डॉ मोनी थामस ने खेत को हाईफाई कर दिया है. यहां पढ़ने वाले छात्रों के लिए वाईफाई सिस्टम भी लगाया गया है .ताकि छात्रों को पढ़ाई के लिए किसी तरह की नेटवर्क की दिक्कत ना हो. कई बार जब प्रोफ़ेसर वहां मौजूद नहीं होते तो वह छात्रों से ऑनलाइन संपर्क भी कर सकते हैं. डॉ मोनी थॉमस बताते हैं कि उनके मन में ख्याल आया कि क्यों ना छात्रों को इको क्लास के माध्यम से जोड़ा जाए. जिससे वह ज्यादा समय तक पौधों के बीच रहेंगे।
👉🏻छात्रों का भी खेत में मन लगा -
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के एंटोंमोलॉजी विभाग के छात्र क्लास रूम में तो कई सालों से पढ़ते आ रहे हैं. जब उनके विभाग अध्यक्ष डॉक्टर मोनी थामस ने खेत और बगीचे में पढ़ने के लिए उनसे कहा तो सभी छात्र तुरंत तैयार हो गए.पीएचडी स्कॉलर छात्र गोपी अंजना बताते हैं कि उन्होंने 7 साल तक क्लास रूम में ही रहकर पढ़ाई की. लेकिन जो तकनीक खेत में आकर प्रैक्टिकल से सीखने को मिली है वह क्लास रूम में नहीं थी. छात्रा पुष्पलता डाबर कहती हैं कि थ्योरीकल पढ़ाई करने में कई बार समझ में नहीं आता था कि फसलों को ऐसा क्यों हो रहा है. मौसम में परिवर्तन आने से फसलों को किस तरह से नुकसान हो सकता है . अब फील्ड में ही जाकर यह सब सीखने का मौका मिल रहा है।
👉🏻छात्रों के लिए स्टाफ भी रहता है खेत में -
फसलों के बीच जब छात्र घंटों गुजारते हैं तो ऐसा नहीं है कि वह अकेले होते हैं. विभाग का पूरा स्टाफ उनके साथ हर समय मौजूद रहता है. जो फसल से जुड़ी हर छोटी से छोटी बातें उन्हें बताते हैं. वरिष्ठ वैज्ञानिक और विभागाध्यक्ष डॉ. मोनी थॉमस के अलावा रिसर्च एसोसिएट डॉक्टर नीरज त्रिपाठी भी छात्रों के साथ रहते हैं. डॉक्टर नीरज त्रिपाठी बताते हैं कि इन छात्रों के साथ घंटों बिताना अच्छा लगता है. क्योंकि यह छात्र ना सिर्फ पढ़ाई बल्कि अपने काम पर भी फोकस करना सीख रहे हैं।
👉🏻किसान बनकर पढ़ाई करते हैं छात्रपढ़ाई के साथ-साथ छात्रों ने करीब 2500 पौधे भी तैयार किए हैं. इनमें कई फलदार पौधे हैं. कई विभिन्न तरह के मसाले- वेजिटेबल के पौधे हैं. हर छात्र को उसके लगाए पौधों की पूरी जानकारी होती है. सभी मौसम में छात्र पौधों को पानी देने से लेकर उनकी देखभाल भी करते हैं. कुल मिलाकर खेत की शिक्षा छात्रों को खेत में ही आसानी से मिल रही है, जो कि आने वाले समय में इनके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगी।
स्रोत:- etvbharat,
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