कृषि वार्तागांव कनेक्शन
किसान का वैज्ञानिक बेटा जिसने नैनो तरल यूरिया की देश को दी सौगात!
👉🏻नैनो यूरिया लॉन्च करते हुए इफको ने कहा कि भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश है। इफको के एमडी ने इस उत्पाद किसानों के लिए सौगात बताया। बताया गया ये आधा लीटर (500मिली) का ये डिब्बा वही काम करेगा जो 45 किलो वाली यूरिया की बोरी करती थी।
👉🏻किसी भी पौधे या फसल की बढ़ोतरी के लिए नाइट्रोजन की जरुरत होती है। मौजूदा खेती में यूरिया, नाइट्रोजन का सबसे बड़ा स्त्रोत है। लेकिन जितनी यूरिया का खेतों में प्रयोग किया जाता है उसका मुश्किल से 30 से 40 फीसदी भाग पौधों के काम आता है बाकी हवा, मिट्टी में बेकार चला जाता है। जो हवा में जाता है वो पर्यावरण के लिए हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों का कारण बनता है और जो मिट्टी में जाता है उससे मिट्टी अम्लीय होती और धरती के अंदर (भूमिगत) पानी दूषित होता है। लेकिन दावा किया गया है कि नैनो यूरिया इन सब खामियों को काफी दूर कर सकता है।
👉🏻इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने 31 मई को जिस नैनो यूरिया तरल को किसानों को समर्पित किया, वो जिस प्रयोगशाला में बनाई गई है और जो उसे बनाने वाला है वो एक किसान का बेटा है। इफको की नैनो यूरिया तरल के पीछे डॉ. रमेश रालिया का शोध और मेहनत है।
👉🏻डॉ. रमेश रालिया इफको की गुजरात के गांधीनगर के कलोल में स्थित रिसर्च सेंटर "नैनो जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र" के रिसर्च एंड डेवलपमेंट हेड और सेंटर के जनरल मैनेजर हैं।
👉🏻मूलरुप से राजस्थान में जोधपुर जिले के गांव खारिया खंगार से रहने वाले डॉ. रालिया के मुताबिक उनके माता-पिता गांव में ही रहते और खेती करते हैं। किसान के बेटे डॉ रमेश रालिया के नाम नैनो टेक्नॉलोजी में फिलहाल 15 पेटेंट हैं। इफको का नैनो यूरिया तरल उसमें से एक है।
👉🏻गांव कनेक्शन ने डॉ रमेश रलिया ने नैनो यूरिया तरल को लेकर लंबी बात की। जिसमें उन्होंने इस उत्पाद के किसानों, देश और पर्यावरण के लिए संदर्भ में फायदे गिनाए। "साधारण यूरिया जो हम प्रयोग करते हैं पौधे केवल उसका 30-40 फीसदी ही उपयोग ले पाते हैं। यूरिया का बहुत बड़ा भाग हवा या जमीन में चला जाता है। जबकि नैनो यूरिया का 80 फीसदी उपयोग पौधे कर पाते हैं। ये इसका सबसे बड़ा फर्क है।" डॉ. रालिया बताते हैं। नैनो यूरिया और साधारण यरिया के रासायनिक फर्क को वो साधारण शब्दों में बताते हैं, " साधारण यूरिया को पौधा आयन (Lon) के रुप में लेता है नैनो यूरिया को पार्टिकल के रुप में होता है। पार्टिकल आयनों का एक समूह होता है। आयन रिएक्टिवेट (रयासन प्रतिक्रिया की अवस्था- जिसके रासायनिक गुण अन्य पदार्थों से मिलने परिवर्तित हो जाएं) की स्थिति होती है, जबकि पार्टिकल (कण) एक स्टैबल (स्थिर) अवस्था होती है। स्थिर रुप में होने के चलते कण पौधे के अंदर पहुंचकर नाइट्रोजन छोड़ते हैं, जिससे नाइट्रोजन को पौधा बहुत अच्छे तरीके ग्रहण कर पाते हैं।"
👉🏻साधारण यूरिया सफेद दानों के रुप में होती है। जिनका फसल छिड़काव किया जाता है। ये दानें हाइड्रोलाइज (गलते) होते हैं फिर पौधे उसे आयन के रुप में ग्रहण करते हैं। जबकि नैनो यूरिया तरल के कण (नैनोपार्टिकल) एक मीटर के एक अरबवें हिस्सा के बराबर होते हैं जिससे वो पौधे में सीधे प्रवेश कर जाते हैं।
स्रोत:- Gaon Connection,
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