सलाहकार लेखTV9 Hindi
किसान आंवले की खेती से कर सकते हैं मोटी कमाई!
👉किसान भाइयों अपने देश में आंवले की खेती सर्दी एवं गर्मी दोनो मौसम में होती है। पूर्ण विकसित आंवले का पेड़ 0 से 46 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक सहन करने की क्षमता रखता है। यानी गर्म वातावरण, पुष्प कलिकाओं के निकलने में सहायक होता है। जुलाई से अगस्त माह में अधिक नमी के कारण छोटे फलों का विकास होता है जबकि बरसात के दिनों में फल ज्यादा पेड़ से गिरते हैं इसकी वजह से नए छोटे फलों के निकलने में देरी होती है।
आंवले की खेती के बारे में जानिए:-
(1) 👉फल वैज्ञानिक डाक्टर एस के सिंह बताते हैं कि आंवले की खेती बलुई मिटटी से लेकर चिकनी मिट्टी तक में सफलतापूर्वक किया जा सकती है। आंवले की खेती के लिए खुदाई 10 फीट x 10 फीट या 10 फीट x 15 फीट पर की जाती है, पौधा लगाने के लिए 1 घन मीटर आकर के गड्ढे खोद लेना चाहिए।
(2) 👉गड्ढों को 15-20 दिनों के लिए धूप खाने के लिए छोड़ देना चाहिए फिर प्रत्येक गड्ढे में 20 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट या कम्पोस्ट खाद, 1-2 किलोग्राम नीम की खली और 500 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाना चाहिए। गड्ढा भरते समय 70 से 125 ग्राम क्लोरोपाईरीफास डस्ट भी भरनी चाहिए। मई में इन गड्ढों में पानी भर देना चाहिए वहीं गड्ढे भराई के 15 से 20 दिन बाद ही पौधे का रोपण किया जाना चाहिए।
(3) 👉नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय, फैजाबाद द्वारा आंवले की कई प्रजातियों को विकसित किया गया है। इन प्रजातियों में अच्छे फलों के लिए किसान ज्यादा लगा रहे हैं। इसके नरेंद्र और कचंव कृष्णा अभी सबसे अधिक प्रचलन में है।आंवले में पर परागण होता है इसलिए अधिकतम उपज के लिए 2: 2: 1 के अनुपात में कम से कम 3 आंवले की किस्मों के पौधों को लगाना चाहिए। उदहारण के लिए एक एकड़ में बेहतरीन परिणाम के लिए नरेन्द्र-7 के 80 पौधे , कृष्णा के 80 पौधे और कंचन के 40 पौधे लगाए जाने चाहिए।
(4) 👉एक वर्ष के बाद पौधों को 5-10 किग्रा. गोबर की खाद, 100 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फास्फोरस तथा 80 ग्राम पोटाश देना चाहिए, अगले दस वर्षो तक पेड़ की उम्र से गुणा करके खाद एवं उर्वरकों का निर्धारण करिए और इस तरह से दसवें वर्ष में दी जाने वाली खाद एवं उर्वरक की मात्रा 50-100 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद, 1 किग्रा नाइट्रोजन, 500 ग्राम फास्फोरस तथा 800 ग्राम पोटाश प्रति पेड़ होगी।
(5) 👉पहली सिंचाई पौध रोपण के तुरन्त बाद करनी चाहिए उसके बाद आवश्यकतानुसार पौधों को गर्मियों में 7-10 दिनों के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिए। पेड़ की सुसुप्तावस्था (दिसम्बर- जनवरी) में तथा फूल आने पर मार्च में सिंचाई नहीं करनी चाहिए। निराई-गुड़ाई पौधों को स्वस्थ रखने एवं खाद तथा उर्वरकों को दुरूपयोग से बचाने के लिए समय-समय पर खरपतवार निकालकर थाले की हल्की गुड़ाई कर देनी चाहिए।
(6) 👉आंवला का कलमी पौधा रोपण से तीसरे साल तथा बीजू पौधा 6 से 8 साल के बाद फल निकलने लगता है। कलमी पौधा 10 से 12 साल बाद पूरी तरह फलने लगता है तथा अच्छे प्रकार से रख-रखाव से 50 से 60 साल तक पेड़ फल देता है। एक पूर्णविकसित आंवले का पेड़ एक से तीन क्विंटल फल देता है। इस प्रकार से 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त किया जा सकता है। लाखों की कमाई हो सकती है।
स्रोत:- TV 9 Hindi,
👉 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!