कृषि वार्ताAgrostar
किसानों को मिलने लगेगी नैनो डीएपी अगले साल तक!
👉किसानों के लिए एक अच्छी खबर है. अगले साल तक बाजार में नैनो यूरिया की तर्ज पर नैनो डीएपी आ जाएगी. कृषि क्षेत्र में नैनो तकनीक के माध्यम से उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है. कृषि क्षेत्र में जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने की भी सख्त जरूरत है. जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में इस बात की जानकारी इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने दी है।
👉सामान्य यूरिया के उपयोग से कृषि के साथ वातावरण को भी नुकसान पहुंचाता है. जबकि नैनो यूरिया में ऐसा नहीं है. राजस्थान में पानी की कमी को देखते हुए नैनो यूरिया का उपयोग अच्छे परिणाम दे रहा है. नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की आपूर्ति हो जाती है. जिससे उत्पादन में वृद्धि के साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है।
👉कलोल, गुजरात स्थित इफको की विस्तार इकाई, कांडला यूनिट और ओडिशा स्थित पारादीप यूनिट में नैनो डीएपी बनाने का काम होगा. तीनों यूनिटों में रोजाना 500 एमएल लिक्विड डीएपी की दो-दो लाख बोतलें तैयार होंगी. कलोल विस्तार यूनिट में मार्च 2023 तक नैनो डीएपी का प्रोडक्शन शुरू होगा. पारादीप में जुलाई 2023 और कांडला में अगस्त 2023 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है. कृषि क्षेत्र के जानकारों को उम्मीद है कि नैनो यूरिया की तर्ज पर नैनो डीएपी भी किसानों के लिए किफायती और फसलों के लिए ज्यादा कारगर साबित होगी।
कितना पैसा खर्च होगा-
👉इफको नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और नैनो सूक्ष्म पोषक तत्वों के उत्पादन के लिए आंवला, फूलपुर, कलोल (विस्तार), बंगलुरु, पारादीप, कांडला, देवघर और गुवाहाटी में यूनिट विकास का काम चल रहा है. इन सभी यूनिटों की उत्पादन क्षमता 2 लाख बोतल प्रति दिन की होगी. इन क्षमताओं की स्थापना के लिए 3000 करोड़ का निवेश किया जाएगा. जिसमें से 720 करोड़ की रकम पहले से ही आवंटित हो चुकी है. इन संयंत्रों से लगभग 1000 लोगों को रोजगार देने में मदद मिलेगी।
नैनो यूरिया का इस्तेमाल करने की अपील-
👉उधर, राजस्थान में सहकारिता की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने किसानों से कृषि कार्यों में यूरिया के स्थान पर नैनो यूरिया का इस्तेमाल करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी बहुत उपयोगी है. सहकारी समितियां नैनो यूरिया के इस्तेमाल एवं इससे होने वाले फायदों के बारे में किसानों को जागरूक करें।
👉कृषि एवं सहकारिता विभाग को नैनो यूरिया की जानकारी पहुंचाने के लिए जिला एवं ब्लॉक स्तर पर सम्मेलन करने चाहिए. आने वाले समय में नैनो तकनीक का कृषि कार्य में उपयोग बढ़ेगा. इस क्षेत्र में सहकारिता अपनी भूमिका से किसानों की आमदनी बढ़ाने में महत्चपूर्ण साबित हो सकता है।
स्त्रोत:- Agrostar
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