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किसानों के लिए मोटे मुनाफे का सौदा है वर्टिकल फार्मिंग!
सलाहकार लेखTV 9 Hindi
किसानों के लिए मोटे मुनाफे का सौदा है वर्टिकल फार्मिंग!
👉🏻फल व सब्जी के मामले में भारत दुनिया के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। भारत में एक खास तरह की खेती को तैयार किया गया है, जिसमें किसानों को कई तरह के फायदे मिलते हैं। इसका नाम वर्टिकल फार्मिंग है, जिसकी मदद से शहरी क्षेत्रों में भी खेती की जा सकती है। पारंपरिक खेती की तुलना में इसमें महज 8 सप्ताह में फसल तैयार हो जाएगी। इस तरह की खेती एक ऐसी जगह पर भी की जा सकती है, जहां कम मिट्टी है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता या चेन्नई जैसे घनी आबादी वाले मेट्रो शहरों में भी इस तरह की खेती मुमकिन है। 👉🏻इसमें कीटनाशक की भी आवश्यकता नहीं होती है। वर्टिकल फार्मिंग एक तरह की ऐसी खेती है, जिसमें एक लेयर के ऊपर दूसरी लेयर लगाकर फल और सब्जी का उत्पाद होता है। आज हम आपको इसी खेती के बारे में कई जरूरी बातें बताने जा रहे हैं। यूनाइडेट नेशन की एक अनुमान के मुताबिक, साल 2050 तक दुनिया की आबादी करीब 10 अरब तक पहुंच जाएगी। ऐसे में फूड प्रोडक्शन में भी 70 फीसदी का इजाफा करना होगा। साथ ही खेती के ​लिए नई तकनीक और इनोवेटिव तरीको की जरूरत होगी। वर्टिकल फार्मिंग यहीं पर मदद कर सकता है। बिजली, पानी और मिट्टी जैसी समस्याओं से जूझने की जरूरत नहीं:- 👉🏻सबसे पहले अगर भारत में हम वर्टिकल फार्मिंग की संभावनाओं की बात करें तो लाखों किसानों के​ लिए यह एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। लेकिन, इसके लिए सबसे बड़ी चुनौती ये है कि आखिर कितने किसान इस नई तकनीक की मदद से खेती करना चाहते हैं। इस तरह की खेती से किसानों को कीटनाशक, उर्वरक, मिट्टी की खराब स्वास्थ्य और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निपटने में मदद मिल सकती है। भारत में किसानों को भरपूर बिजली, न्यूनतम समर्थन मूल्य और पानी की कमी जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ता है। हालांकि, वर्टिकल फार्मिंग के लिए शुरुआत में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए बड़े स्तर पर खर्च करना पड़ता है। वर्टिकल फार्मिंग कितने तरीके से की जा सकती है? 👉🏻वर्टिकल फार्म्स अलग आकार के तौर पर विकसित किया जा सकता है। वर्टिकल फार्मिंग में तीन तरह से खेती की जा सकती है, हाइड्रोपोनिक, एयरेपोनिक और एक्वापोनिक. हाइड्रोपोनिक सिस्टम में पौधों को बिना मिट्टी के ही उगाया जाता है। इस तरह की खेती में पौधों की जड़ों को एक तरह के पोषक तत्‍व वाले सॉलुशन में डुबाया जाता है। इस सॉलुशन में पर्याप्त मात्रा में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होते हैं। पौधों को सपोर्ट करने के लिए अन्य तरह के मैटेरियल का भी इस्तेमाल किया जाता है। 👉🏻एक्वापोनिक सिस्टम में एक ही इकोसिस्टम में पौधे और मछलियों को ​तैयार किया जाता है। जबकि, एयरोपोनिक सिस्टम में न तो मिट्टी और न ही किसी लिक्विड की जरूरत पड़ती है। एक एयर चैम्बर में जरूरी पोषक तत्वों को लिक्विड की मदद से मिला दिया जाता है। इसमें पानी की खपत लगभग न के बराबर होती है। बिना मौसम पर निर्भर हुए अच्छी उपज:- इस तरह की खेती के जरिए एक एकड़ में ही करीब चार से पांच एकड़ की जमीन जितना उत्पादन हो जाता है। किसानों को मौसम पर भी निर्भर नहीं रहना पड़ता है। वर्टिकल फार्मिंग एक ऐसी बिल्डिंग में भी किया जा सकता है, जिसे छोड़ दिया गया है। पर्यावरण और किसानों की सेहत के लिहाज से भी इस खेती को बेहतरीन माना जाता है। कहां से मिलेगी वर्टिकल फार्मिंग की जानकारी? 👉🏻भारत में वर्टिकल फार्मिंग तकनीक को 2019 में ही लाया गया है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) तकनीकी स्तर पर काम कर रहा है। हालांकि, भारत में अभी भी बड़े स्तर पर इस तरह की खेती नहीं की जा रही है। कितना होता है वर्टिकल फॉर्मिंग शुरू करने में खर्च? 👉🏻आबादी के हिसाब से इस तरह की खेती के लिए भारत एक मुफीद जगह साबित हो सकता है। यहां खुदरा बाजार के अलावा, होटल, फूड चेन्स, रेलवे केटरिंग, विदेशी फूड सर्विस कंपनियों आदि में सब्जी और फल की अच्छी खपत होती है। अगर किसान के पास खुद की ज़मीन है तो उन्हें हर 5 साल के लिए प्रति एकड़ ज़मीन पर करीब 30.5 लाख रुपये खर्च करने होंगे। सब्सिडी और लोन की भी व्यवस्था:- 👉🏻उदारहण के तौर पर टमाटर की फसल तैयार करने के​ लिए कार्य-संबंधी प्र​ति एकड़ खर्च करीब 9 लाख रुपये पड़ता है। लेकिन इससे किसानों को करीब 33.5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। किसान चाहें तो कृषि लोन के तौर पर 75 फीसदी रकम लोन के रूप में ले सकते हैं। नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड से भी किसानों को 20 फीसदी सब्सिडी मिल जाएगी। 👉🏻खेती तथा खेती सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए कृषि ज्ञान को फॉलो करें। फॉलो करने के लिए अभी ulink://android.agrostar.in/publicProfile?userId=558020 क्लिक करें। स्रोत:- TV9 Hindi, 👉🏻प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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