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किसानों के लिए डबल फायदा देने वाली फसल, 3 लाख रुपए तक कमाई!
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किसानों के लिए डबल फायदा देने वाली फसल, 3 लाख रुपए तक कमाई!
👉🏻 केंद्र की मोदी सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए तरह-तरह की योजनाएं शुरू की गई हैं और किसानों को परंपरागत फसलों की खेती के अलावा नकदी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इसी कड़ी में औषधीय फसलों पर सरकार का काफी जोर है. अधिक आय के कारण किसानों की औषधीय पौधों की खेती भी भा रही है. इसी तरह का एक पौधा है कौंच. पिछले एक दशक से भारत में किसान इसकी व्यावसायिक खेती कर रहे हैं और मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. 👉🏻 इस औषधीय पौधे का नाम है कौंच. इसका वानस्पतिक नाम मुकुना प्रुरिएंस है. कौंच भारत के लोकप्रिय औषधीय पौधों में से एक है. यह भारत के मैदानी इलाकों में झाड़ियों के रूप में विकसित होता है. इस झाड़ीनुमा पौधे की पत्तियां नीचे की ओर झुकी होती हैं. इसके भूरे रेशमी डंठल 6 से 11 सेंटी मीटर लंबे होते हैं. 👉🏻 इसमें गहरे बैंगनी रंग के फूलों के गुच्छे निकलते हैं, जिसमें करीब 6 से 30 तक फूल होते हैं. कौंच एक वर्षीय लता है. संस्कृत में इसे मरकटी, कपिकच्छुका और आत्मगुप्त कहते हैं. यहां पर मरकटी का मतलब बंदर के समान रोएदार से है. कपिकच्छुका से तात्पर्य यह है कि अगर इसका स्पर्श वानर कर ले तो वह खुजलाने लगता है. आत्मगुप्त का मतलब है, स्वयं को सुरक्षित रखने वाला. अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम 👉🏻 कौंच को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम से जानते हैं. इसके कुछ प्रचलित नाम काउहैज, कपिकच्छु, किवांच, कवच बीज, केवांच, कुसे, कुहिरा, कमाच और खजेहरा हैं. कौंच को किसी भी जमीन, भूमि, मेड़ों और नदी-नालों के किनारे देखा जा सकता है. 👉🏻 देखने में ये पौधे सेम फलियों की तरह लगते हैं. हमारे देश में ये झाड़ियों के रूप में जंगलों में फैले हुए भी पाए जाते हैं. लेकिन अब इसकी व्यावसायिक खेती होने लगी है और किसान मुनाफा कमा रहे हैं. 👉🏻 कौंच में फल, फली के रूप में लगते हैं. फली तीन से पांच के गुच्छों में होती है और यह उल्टे आकार में मुड़ी रहती है. ये दो से चार इंच लंबी और एक इंच चौड़ी होती है. यह खाकी चमकीले रंग की और धारीदार होती है. इस पर सघन और चमकीले भूले रोम होते हैं और काफी विषैले होते हैं. 👉🏻 एक फली में 4 से 6 तक बीज होते हैं. बीज अलग-अलग रंगों में पाए जाते हैं. ये बीज अंडाकार और चपटे होते हैं. कौंच मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, गुजरात और राजस्थान में पाया जाता है. जून-जुलाई में खेती सबसे उपयुक्त 👉🏻 इसकी बुवाई बीज से होती है और बारिश से पहले इसकी खेती को सबसे उपयुक्त माना जाता है. कौंच की खेती करने के लिए सहारा वृक्षों का रोपण एक वर्ष पहले हो जाना चाहिए. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कौंच की लताएं किसी पेड़ के सहारे तेजी से बढ़ सकें. 👉🏻 कौंच की खेती खरीफ में की जाने वाली एक फसल है, जिसके लिए अनुकूल समय 15 जून से 15 जुलाई तक का होता है. बुवाई के लिए प्रति एकड़ 6 से 8 किलोग्राम की दर से बीज की आवश्यकता होती है. बुवाई से पहले सड़ी गोबर की खाद मिला देने से पौधे तेजी से बढ़ते हैं. 👉🏻 कौंच की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि इसकी सबसे अच्छी बात है कि लागत और मेहनत कम पड़ती है. वहीं जिस खेत में आप बागवानी के लिए पौधे लगाएं हो, वहां पर इसकी बुवाई करने से आपको डबल फायदा होता है. सहारे के लिए पौधा मिल जाता है और बागवानी के पौधे की देखभाल भी हो जाती है. किसान बताते हैं कि अगर आप जाल पर इसे लगाते हैं तो एक एकड़ में तीन लाख रुपए की कमाई आसानी से हो जाती है. 👉🏻 खेती तथा खेती सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए कृषि ज्ञान को फॉलो करें। फॉलो करने के लिए अभी ulink://android.agrostar.in/publicProfile?userId=558020 क्लिक करें। स्रोत:- TV 9 Hindi, 👉🏻 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। यदि दी गई जानकारी आपको उपयोगी लगी, तो इसे लाइक👍🏻करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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