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किसानों का होगा फायदा ही फायदा!
✅ किसानों की उपज को बढ़ाने के लिए सरकार कई तरह की योजनाओं चला रही है, ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके. अच्छी उपज के लिए मिट्टी की गुणवत्ता पर ध्यान देना भी बेहद जरूरी है. हालांकि, कई किसानों को इसकी जानकारी नहीं होती है और इसके आभाव में उन्हें अच्छा उत्पादन नहीं मिल पाता. किसानों की इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार एक ऐसी योजना चला रही है, जिसके तहत किसानों को मिट्टी की जांच करवाई जाती है और उस रिपोर्ट के आधार पर खेती की जाती है.
✅ किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता की पूरी जानकारी मिल जाती है. उन्हें यह पता चल जाता है कि आखिर मिट्टी में क्या कमी है और इसे कैसे सही करना है. इसके साथ साथ ये भी पता चल जाता है कि आखिर इस मिट्टी में कौन सी फसल बेहतर होगी. इस प्रकार, खेती में उनकी लागत भी कम होती है और उपज भी पहले की तुलना में बढ़ जाती है. ऐसे में अगर आप भी सरकार की इस योजना का लाभ उठाकर मिट्टी की जांच करवाना चाहते हैं, तो आज ही मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाएं. आइए
✅ कैसे बनाएं मृदा स्वास्थ्य कार्ड?
इस कार्ड को बनवाने के लिए आपको योजना की ऑफिशियल वेबसाइट soilhealth.dac.gov.in पर जाना होगा. आप चाहें तो हेल्पलाइन नंबर 011-24305591 और 011-24305948 पर भी कर कॉल सकते हैं या फिर आप helpdesk-soil@gov.in पर ई-मेल भी कर सकते हैं.
✅ इस कार्ड से लाभ क्या है?
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत कोई भी भारतीय किसान मिट्टी की जांच करवा सकता है. इस कार्ड की मदद से किसान पता लगा सकते हैं कि मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है, पानी कितना इस्तेमाल करना है और किस फसल की खेती करने से उन्हें लाभ मिलेगा. कार्ड बनने के बाद किसानों को मिट्टी की सेहत, उत्पादक क्षमता, मिट्टी में नमी का स्तर, क्वालिटी और मिट्टी की कमजोरियों को सुधारने के तरीकों के बारे में बताया जाता है. मिट्टी की जांच के लिये देशभर में मृदा जांच केंद्र भी स्थापित किए गए हैं. जहां, जाकर किसान अपनी मिट्टी की जांच करवा सकते हैं.
✅ कहां होती है मिट्टी की जांच?
किसानों के खेत की मिट्टी जांच के लिए हर जगह प्रयोगशालाएं लगवाई गई हैं. इन प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों द्वारा जांच के बाद मिट्टी के गुण-दोष की लिस्ट तैयार की जाती है. इसके साथ ही इस सूची में मिट्टी से जुड़ी जानकारी और सही सलाह मौजूद होती है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार खेती करने से फसल की उत्पादन क्षमता और किसानों की आय में बढ़ोतरी तो होती ही है, इसके साथ साथ खाद के उपयोग और मिट्टी का संतुलन बनाने में भी मदद मिलती है.
✅स्त्रोत:- AgroStar
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