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काली हल्दी की खेती करने का सही तरीका!
👉किसान अब परंपरागत खेती करने के साथ ही आधुनिक खेती की ओर भी रुख कर रहे हैं, क्योंकि इसमें उन्हें ज्यादा मुनाफा नजर आ रहा है. इसी में से एक औषधीय फसल भी है. इन दिनों बाजार में औषधि युक्त चीजों की मांग तेजी से बढ़ी है.ऐसे में किसान औषधीय फसलों की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. इसी कड़ी में हम कृषि जागरण के किसान भाइयों के लिए काली हल्दी की खेती की संपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं।
काली हल्दी की खेती के फायदे -
👉बता दें कि हल्दी की तरह ही बाजारों में काली हल्दी ही मांग भी बहुत अधिक है, लेकिन इसका उत्पादन कम होता है. ऐसे में किसान इसकी खेती कर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. कई सारे ऑनलाइन वेबसाइट पर आपको काली हल्दी 500 रुपये से 4000 रुपये किलो तक बिकती हुई मिल जाएंगी. मान लीजिए कि अगर आपकी काली हल्दी सिर्फ 500 रुपये के हिसाब से भी बिकी, तो अनुमान लगाइए की 15 क्विंटल में आपको 7 से 8 लाख रुपये तक का मुनाफा हो जाएगा।
काली हल्दी की खेती के बारे में संपूर्ण जानकारी-
समय- इसकी खेती के लिए जून महीना सबसे अच्छा माना जाता है।
मिट्टी- इसके लिए ऐसी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसकी जलधारण की क्षमता सबसे अच्छी होती हैं. यही वजह है कि भुरभुरी दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसके अलावा इसकी खेती बलुई, दोमट, मटियार, मध्यम भूमि में भी की जा सकती है. मिट्टी का पी.एच. 5 से 7 होना चाहिए. चिकनी काली और मिश्रित मिट्टी में इसकी खेती नहीं करने की सलाह दी जाती है।
मौसम- काली हल्दी की खेती 15 से 40 डिग्री तापमान में की जाती है, क्योंकि इसके पौधे अधिक ठंड और विपरीत मौसम को भी सहन कर लेते हैं।
सिंचाई- इसकी खेती के लिए पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती है. बारिश का पानी ही इसकी सिंचाई के लिए भरपूर होता है. हां इसकी खेती में इस बात का जरूर ध्यान रखें कि खेत की तैयारी ऐसी करें कि इसमें बारिश का पानी नहीं रुक पाए।
बीज- एक हेक्टेयर के लिए काली हल्दी के करीब 2 क्विंटल बीजों की जरूरत पड़ती है. इस दौरान उन्नत किस्मों के बीजों का ही चुनाव करें।
कीटनाशक- इसकी फसलों के लिए कीटनाशक की कोई जरूरत नहीं होती है, क्योंकि इसके पौधों में कीट नहीं लगते हैं. हालांकि खेती से पहले ही इसमें भरपूर मात्रा में गोबर के खाद का इस्तेमाल करने से हल्दी की पैदावार अच्छी मात्रा में होती है।
👉बता दें कि काली हल्दी अपनी औषधीय गुणों के लिए मशहूर है. इसका इस्तेमाल आयुर्वेद, होम्योपैथ और कई जरूरी ड्रग बनाने में किया जाता हैं. इसके साथ ही इसका उपयोग स्किन केयर के रूप में भी किया जाता हैं. ऐसे में इसकी डिमांड सालभर बाजार में रहती है. इसलिए अगर किसान ऊपर दिए गए बातों को ध्यान में रखकर खेती करते हैं तो उनको मुनाफा ही मुनाफा होगा।
स्रोत:- Agrostar
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