सलाहकार लेखगांव कनेक्शन
कम पानी में धान की ज्यादा उपज के लिए करें धान की सीधी बुवाई!
धान की खेती में नर्सरी से लेकर रोपाई में समय भी ज्यादा लगता है और खर्च भी। ऐसे में किसान जीरो टिलेज मशीन से धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं। इस तकनीक से रोपाई और जुताई की लागत में बचत में होती है व फसल भी समय से तैयार हो जाती है, जिससे अगली फसल की बुवाई सही समय में हो जाती है।_x000D_
_x000D_
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के डॉ. विनोद कुमार श्रीवास्तव जीरो टिलेज से सीधी बुवाई के बारे में बताते हैं, "सीधी बुवाई मानसून आने से पहले कर लेनी चाहिए ताकि बाद में अधिक नमी या जल भराव से पौधे प्रभावित नहीं होते हैं। इस तकनीक से रोपाई और सिंचाई की लागत की बचत हो जाती है और फसल भी समय से तैयार हो जाती है।"_x000D_
_x000D_
धान की सीधी बुवाई उचित नमी और खेत की कम जुताई करके या फिर खेत की जुताई किए बिना ही आवश्यतानुसार खरपतवारनाशी का प्रयोग कर जीरो टिलेज मशीन से की जाती है। बुवाई से पहले धान के खेत को समतल कर लेना चाहिए। बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी उपलब्ध होनी चाहिए। जुताई हल्की और डिस्क हैरो से करनी चाहिए। सामान्यतः सीधी बुवाई वाली धान में प्रति हेक्टेयर 80-100 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस और 20 किलो पोटाश की जरूरत होती है। नाइट्रोजन की एक तिहाई और फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय प्रयोग करना चाहिए।_x000D_
_x000D_
सीधी बुवाई विधि में जीरो टिलेज मशीन के द्वारा मोटे आकार के दानो वाले धान की किस्मों के लिए बीज की मात्रा 30-35 किलोग्राम, मध्यम धान की 25 से 30 किलोग्राम और छोटे महीन दाने वाले धान की 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती है। बुवाई से पूर्व धान के बीजों का उपचार अति आवश्यक है। सबसे पहले बीज को 8-10 घंटे पानी में भीगोकर उसमें से खराब बीज को निकाल देते हैं। इसके बाद एक किलोग्राम बीज की मात्रा के लिए ट्राइकोडर्मा मिलाकर बीज को दो घंटे छाया में सुखाकर मशीन के द्वारा सीधी बुवाई करनी चाहिए। _x000D_
_x000D_
बुवाई करते समय ध्यान रखें ये बातें _x000D_
धान की बुवाई करने से पहले जीरो टिल मशीन का संशोधन कर लेना चाहिए, जिससे बीज और उर्वरक निर्धारित मात्रा और गहराई में पड़े। ज्यादा गहराई होने पर अंकुरण और कल्लों की संख्या कम होगी, जिससे धान की पैदावार पर प्रभाव पड़ेगा। बुवाई के समय, मशीन की नली पर विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इससे रुकने पर बुवाई ठीक प्रकार नहीं हो पाती है, जिससे कम पौधे उगेंगे और उपज कम हो जाएगी।_x000D_
यूरिया और म्यूरेट आफ पोटाश उर्वरकों का प्रयोग मशीन के खाद बक्से में नहीं रखना चाहिए। इन उर्वरकों का प्रयोग टाप ड्रेसिंग के रूप में धान पौधों के स्थापित होने के बाद सिंचाई के बाद करना चाहिए। बुवाई करते समय पाटा लगाने की जरूरत नहीं होती, इसलिए मशीन के पीछे पाटा नहीं बांधना चाहिए।
स्रोत:- गांव कनेक्शन _x000D_
यदि आपको दी गई जानकारी उपयोगी लगे तो, लाइक करें और अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें।