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औषधीय फसल-अश्वगंधा की खेती की जानकारी (Part-1)
सलाहकार लेखअपनी खेती
औषधीय फसल-अश्वगंधा की खेती की जानकारी (Part-1)
अश्वगंधा चमत्कारी जड़ी बूटी के रूप में जानी जाती है। इससे बहुत सारी दवाइयां बनाई जा सकती हैं। इसका नाम अश्वगंधा इसलिए है क्योंकि इसकी जड़ें घोड़े की तरह गंध देती है यह शरीर को घोड़ों की तरह शक्ति प्रदान करता है। इसके बीज, जड़ें और पत्ते का प्रयोग दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। अश्वगंधा से तैयार की गई दवाईयां तनाव निवारक, नपुंसकता दूर करने के लिए और चिंता, अवसाद, भय, सिजोफ्रनिया आदि को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। जिसका औसतन कद 30-120 से.मी. और जड़ें सफेद-भूरे रंग की गुद्देदार होती हैं। इसके फूल हरे रंग के होते हैं, जिन पर संतरी-लाल रंग के बेर की तरह फल लगे होते हैं। भारत में अश्वगंधा उगाने वाले राज्य राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश आदि है। मिट्टी की जरूरत बढ़िया निकास वाली रेतली दोमट या हल्की लाल मिट्टी, जिसका पीएच 7.5-8.0 हो, एसी मिट्टी में अश्वगंधा उगाना अच्छा रहता है। नमी बरकरार रखने वाली और जल सोखने वाली मिट्टी में अश्वगंधा की खेती नहीं की जा सकती है। इसके लिए मिट्टी हल्की, गहरी और अच्छी जल निकास वाली होनी चाहिए। अच्छी निकास वाली काली और भारी मिट्टी इसकी खेती के लिए अनुकूल होती है। खेत की तैयारी अश्वगंधा की खेती के लिए भुरभुरी और समतल जमीन की आवश्यकता होती है। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए खेत की 2-3 बार जुताई करें। बारिश से पहले खेत की जुताई और तुड़ाई करें और उर्वरक दें। खेत को अप्रैल-मई महीने में तैयार करें।
बुवाई का समय अश्वगंधा की खेती के लिए जून-जुलाई के महीने में नर्सरी तैयार करें। पौधों के बीच अंतर अंकुरन प्रतिशत के आधार पर, पंक्ति में अंतर 20-25 सेंटीमीटर और पौधों में 10 से.मी. का अंतर रखें। बुवाई के लिए गहराई बीज को 1-3 सेमी गहराई में बोया जा चाहिए। बुवाई का ढंग पहले रोपण तैयार करें फिर उसे खेत में लगाएं। बीज की मात्रा अच्छी किस्मों के लिए 4-5 किलो बीज प्रति एकड़ में प्रयोग करें। बीज का उपचार फसल को मिट्टी से होने वाली बीमारियों और कीटों से बचाने के लिए, बुवाई से पहले थईराम या डायथेन एम-45 (इनडोफिल एम-45) @3 ग्राम/किलो से उपचार करें। उपचार के बाद बीजों को हवा में सुखाएं और बुवाई के लिए प्रयोग करें। स्रोत - अपनी खेती यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगे, तो फोटो के नीचे दिए पीले अंगूठे के निशान पर क्लिक करें और नीचे दिए विकल्पों के माध्यम से अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा करें।
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