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उड़द, मूंग, बाजरा, मक्का और ज्वार बुवाई की कृषि वैज्ञानिक ने दी पूरी जानकारी!
सलाहकार लेखTV9 Hindi
उड़द, मूंग, बाजरा, मक्का और ज्वार बुवाई की कृषि वैज्ञानिक ने दी पूरी जानकारी!
👨🏻‍🌾जुलाई का महीना खरीफ फसलों के लिए काफी महत्वपूर्ण है! 👉राजस्थान की इस महीने जो प्रमुख फसल हैं जैसे उड़द, मूंग, बाजरा, मक्का और ज्वार इनकी पूरी जानकारी हम कृषि वैज्ञानिको के मुताबिक आपके लिए ले के आए हैं- उड़द एवं मूंग- 👉कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक उड़द एवं मूंग की बुवाई बारिश शुरू होने पर कर देनी चाहिए. यदि बारिश में देरी हो जाए तो इन फसलों की बुवाई पलेवा करके जुलाई के प्रथम पखवाड़े में समाप्त कर लेनी चाहिए. इन फसलों की बुवाई सीडड्रिल अथवा देसी हल से 30-45 सेमी की दूरी पर बनी पक्तियों में करनी चाहिए. निकाई द्वारा पौधे से पौधे की दूरी 7-10 सेमी कर लेनी चाहिए! इसके बीज एवं दवाओं के बारे में जानिए- 👉किस्मों के अनुसार उड़द एवं मूंग की उपयुक्त बीज दर 15-20 किग्रा प्रति हेक्टेयर है. दोनों फसलों के लिए 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस एवं 20 किलो प्रति हेक्टेयर गंधक की आवश्यकता होती है. इन उर्वरकों की संपूर्ण मात्रा बुवाई के समय प्रयुक्त करनी चाहिए. यदि रसायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण करना है तो एक किलो पेंडिमिथालिन को 800 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के 1-2 दिन के भीतर एक हेक्टेयर में छिड़क देना चाहिए! बाजरा की बुवाई- 👉भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute) के वैज्ञानिकों के मुताबिक उत्तर भारत में बाजरा की बुवाई जुलाई के प्रथम पखवाड़े में समाप्त कर लेनी चाहिए. बाजरा की फसल उचित जल निकास वाली सभी तरह की जमीन में उगाई जा सकती है. बाजरा के लिए भारी मृदा अनुकूल नहीं रहती. बाजरा के लिए अधिक उपजाऊ जमीनों की भी जरूरत नहीं होती. इसके लिए बलुई-दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है! खाद का इस्तेमाल- 👉सिंचित क्षेत्र के लिए नाइट्रोजन-80 किलोग्राम, फॉस्फोरस-40 किलोग्राम और 40 किलो प्रति हैक्टेयर की दर से पोटाश की जरूरत होगी. जबकि बारानी क्षेत्रों के लिए नाइट्रोजन-60 किलोग्राम, फास्फोरस-30 किलो 30 किलो पोटाश की जरूरत होगी! मक्का व बेबीकॉर्न की बुवाई- 👉यह समय मक्का (Maize) व बेबी कॉर्न की बुवाई के लिए उपयुक्त है. उत्तर भारत में इसकी बुवाई मध्य जुलाई तक समाप्त कर लेनी चाहिए. मक्का की अच्छी बढ़वार एवं उत्पादकता के लिए बलुई-दोमट से लेकर दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है! उत्तर भारत में उगाई जाने वाली मक्का की मुख्य किस्में:– पीईएचएम-2, विवेक हाइब्रिड मक्का-4 , प्रकाश, विवेक-21, 27 एवं 33, पीईएचएम-3, पीईएचएम-5 , पीएमएच-2 , केएच-510 , बायो-9637 , जवाहर मक्का ! ज्वार की बुवाई- 👉उत्तर भारत में ज्वार की बुवाई का उचित समय जुलाई का प्रथम सप्ताह है. बारानी क्षेत्रों में मानसून की पहली बारिश होने के एक सप्ताह के अंदर ज्वार की बुवाई कर देनी चाहिए. साधारणतया एक हेक्टेयर क्षेत्रफल की बुवाई के लिए 12-15 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. बुवाई की दूरी 45 सेंटीमीटर ( पंक्ति से पंक्ति ) तथा पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर रखी जाए. पंक्ति में बुवाई देसी हल के पीछे कुंडों में या सीड ड्रिल द्वारा की जा सकती है! स्त्रोत:- TV9 👉 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
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