गुरु ज्ञानAgroStar
इस विधि से भिन्डी की खेती कर देगी मालामाल!
👉भिंडी एक लोकप्रिय सब्जी है। यह मैलवैसीआई प्रजाति से संबंधित है। सब्जियों में भिंडी का प्रमुख स्थान है जिसे लोग लेडीज फिंगर या ओकरा के नाम से भी जानते हैं। भिंडी की अगेती फसल लगाकर किसान भाई अधिक लाभ अर्जित कर सकते है। मुख्य रुप से भिंडी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवणों जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस के अतिरिक्त विटामिन ‘ए’, बी, ‘सी’, थाईमीन एवं रिबोफ्लेविन भी पाया जाता है। इसमें विटामिन ए तथा सी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है।
👉जलवायु एवं भूमि की आवश्यकता :-
यह विशेष तौर पर उष्ण और उपउष्ण क्षेत्रों में उगाई जाती है। भिंडी के लिये दीर्घ अवधि का गर्म व नम वातावरण श्रेष्ठ माना जाता है। भिंडी को उत्तम जल निकास वाली रेतली से दोमट की भूमियों में उगाया जा सकता है। भूमि का पी0 एच० मान 6.5 से 7.8 होना उपयुक्त रहता है। खारी, नमक वाली या घटिया निकास वाली मिट्टी में इसकी खेती ना करें।
👉खेत की तैयारी :-
भूमि की दो-तीन बार जुताई कर भुरभुरी कर तथा पाटा चलाकर समतल कर लेना चाहिए। आखिरी बार जोताई करते समय 100-120 क्विंटल प्रति एकड़ अच्छी सड़ी गोबर की खाद मिट्टी में डालें। खालियां और मेंड़ वाला ढंग बनाएं।
👉बुवाई विधि एवं समय :-
इसकी बिजाई के अलग अलग तरीके हैं जैसे बिजाई वाली मशीन से, हाथों से सीधे खेत में बीज की बवाई या हलों के पीछे बीज डालकर भी बोया जाता है। ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुवाई फरवरी-मार्च में तथा वर्षाकालीन भिंडी की बुवाई जून-जुलाई में की जाती है। बीज उगने के लिये 27-30 डिग्री से०ग्रे० तापमान उपयुक्त होता है तथा 17 डिग्री से०ग्रे० से कम पर बीज अंकुरित नहीं होते।
👉बीजदर एवं बीज बोने की दुरी :-
बीज दर बिजाई के लिए 4-6 किलो प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता है । ग्रीष्मकालीन भिंडी के लिए कतार से कतार दूरी 40-45 सें.मी. एवं कतारों में पौधे की बीच 25-30 सें.मी. का अंतर रखना उचित रहता है। बीज की 2 से 3 सें०मी० गहरी बुवाई करनी चाहिए। पूरे खेत को उचित आकार की पट्टियों में बांट लें जिससे कि सिंचाई करने में सुविधा हो। वर्षा ऋतु में जल भराव से बचाव हेतु उठी हुई क्यारियों में भिण्डी की बुवाई करना उचित रहता है।
👉उन्नत किस्मों का चुनाव :-
भिन्डी की बीज की बुवाई करने के लिए एग्रोस्टार मोनिका एफ1 भिंडी, एग्रोस्टार जानकी एफ1 भिंडी एवं एग्रोस्टार सयानी एफ1 भिंडी का चुनाव कर सकते है, जिसकी विशेषताएँ निम्न है -
👉जाति का प्रकार- संकर किस्म (एग्रोस्टार जानकी एफ1 भिंडी)
फलों का रंग- गहरा हरा रंग
भिंडी फलों की लंबाई- 12 -14 सेमी.
कीट प्रतिरोध- पित्त शिरा मोज़ेक वायरस और भिंडी पत्ती मरोड़ वायरस के प्रति सहनशील
बुवाई का मौसम- साल भर बुवाई
बुवाई की दूरी- पंक्ति से पंक्ति की दूरी 1.5-2 फ़ीट, पौधें से पौधें की दूरी 0.5-1 फ़ीट
बुवाई की गहराई- 2 सेंटीमीटर
पहली तुड़ाई - 45-50 दिन बुवाई बाद
पौधे की आदत- छोटे इंटर्नोड्स (फुटाव) के साथ संकर बोनी किस्म
अतिरिक्त जानकारी- उच्च उपज और लंबी दूरी की परिवहन क्षमता के लिए उपयुक्त
👉जाति का प्रकार- संकर किस्म (एग्रोस्टार मोनिका एफ1 भिंडी)
फलों का रंग- गहरा हरा रंग
फलों की लंबाई- 10-12 सेमी. उच्च उपज और लंबी दूरी की परिवहन क्षमता के लिए उपयुक्त
कीट प्रतिरोध- पित्त शिरा मोज़ेक वायरस और भिंडी पत्ती मरोड़ वायरस के प्रति सहनशील
बुवाई का मौसम- साल भर बुवाई
बुवाई की दूरी- पंक्ति से पंक्ति की दूरी 3-5 फ़ीट, पौधें से पौधें की दूरी 1 फ़ीट
बुवाई की गहराई- 2 सेंटीमीटर
पहली तुड़ाई - 45-48 दिन बुवाई बाद
पौधे की आदत- अधिक शाखाओं वाली संकर बोनी किस्म
अतिरिक्त जानकारी- उच्च उपज और उत्कृष्ट फल गुणवत्ता
👉जाति का प्रकार- संकर किस्म (एग्रोस्टार सयानी एफ1 भिंडी)
फलों का रंग- आकर्षक हरे रंग का
कीट प्रतिरोध- पित्त शिरा मोज़ेक वायरस और पत्ती मरोड़ वायरस के प्रति सहनशील
बुवाई का मौसम- साल भर बुवाई
बुवाई की विधि-गड्डो के द्वारा
बुवाई की दूरी- लाइन से लाइन की दूरी: 3-5 फीट पौधे से पौधे की दूरी 1 फीट
बुवाई की गहराई- 2 सेंटीमीटर
पहली तुड़ाई- बुवाई के 45-50 दिन बाद
अतिरिक्त जानकारी- अधिक उपज देने वाली किस्म और तुड़ाई में आसान,फलों की बेहतर गुणवत्ता
👉स्रोत:- AgroStar
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