कृषि वार्ता Kisan Samadhan
इन किसानों से वापस ली गई पीएम किसान की राशि!
👉🏻प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को लागू हुए 3 वर्ष पुरे हो गये हैं | योजना के तहत एक किसान परिवार को प्रति वर्ष 6,000 रुपए तीन किश्तों में दिए जाते हैं| जिसमें इस योजना का लाभ टैक्स भरने वाले किसानों को तथा सरकारी नौकरी करने वालों किसानों को नहीं दिया जाता है | इसके बावजूद भी कई ऐसे किसान हैं जो अपात्र होने के बाबजूद भी योजना का लाभ ले रहे हैं जिन्हें अब योजना से बाहर किया जा रहा है | केंद्र सरकार ने लाखों किसानों की योजना से छटनी कर दी है तथा उनके द्वारा लिए गये लाभ को वापस वसूला जा रहा है |
👉🏻लोकसभा में सांसद श्री गजेन्द्र उमराव सिंह पटेल तथा इंजिनियर गुमान सिंह दामोर ने केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से यह सवाल पूछ था कि क्या कुछ किसानों से सम्मान निधि की राशि वापस वसूल की जा रही है और यदि हाँ तो कितने किसानों से पैसा वसूला गया है | इसके जबाब में केंद्रीय कृषि मंत्री ने अभी तक योजना के तहत कुल कितने किसानों को कितने रुपयों का वितरण किया गया है एवं कितने अपात्र किसानों से दी गई राशि वसूल की गई है उसकी जानकारी दी । साथ ही कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों का सत्यापन किस तरह किया जाता है।
इतने किसानों से वापस ली गई सम्मान निधि योजना की राशि:-
👉🏻केन्द्रीय मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि योजना के प्रावधान के अनुसार अपात्र किसानों को दिए गए लाभ की वसूली की जा सकती है | संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र प्राधिकरण इन व्यक्तियों से धन की वसूली की प्रक्रिया में हैं और अब तक ऐसे कुल 47,43,806 अपात्र किसानों की पहचान की गई है, जिन्होंने योजना के तहत लाभ प्राप्त किया है और ऐसे अपात्र किसानों से 296.63 करोड़ रुपए की वसूली की गई है | कृषि मंत्री ने बताया कि अपात्र किसानों पर मुकदमा भी दर्ज कराया गया है | अपात्र किसानों ने सबसे ज्यादा संख्या तमिलनाडू, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्य आगे हैं |
सरकार द्वारा किसानों का इस तरह किया जाता है सत्यापन:-
👉🏻अपने जबाब में कृषि मंत्री ने अपने जबाब में बताया कि लाभार्थियों की पहचान की पूरी ज़िम्मेदारी राज्य एवं केंद्र सरकार की है । पीएम-किसान वेब-पोर्टल पर सम्बंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों द्वारा तैयार और अपलोड किए गए किसानों के सही और सत्यापित आँकड़ों के आधार पर लाभार्थियों को वित्तीय लाभ जारी किए जाते हैं। रज्यों/संघ राज्य क्षेत्र द्वारा अपलोड किया गया डेटा पीएम-किसान पोर्टल, पीएफएमएस पोर्टल और आईटी डेटाबेस के स्तर पर सत्यापन के लिए जाता है। सत्यापन के किसी स्तर पर ख़ारिज किए गए डेटा को सुधार के लिए राज्यों के पास वापस भेज दिया जाता है।
👉🏻सभी सत्यापनों को पास करने वाले डेटा के लिए, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से अनुरोध किया जाता है की वे अपने सम्बंधित राज्यों के लिए अंतरण हेतु अनुरोध (RFT) पर हस्ताक्षर करें। आरएफटी पर राज्य नोडल अधिकारियों (एसएनओ) द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं ओर पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं। बल्क डेटा फिर से पीएफएमएस को निधि अंतरण आदेश (एफटीओ) बनाने के लिए भेजा जाता है, जिसके बाद निधियाँ लाभार्थी किसानों के बैंक खातों में भेजा जाता है।
स्रोत:- Kisan Samadhan,
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