गुरु ज्ञानAgroStar
आलू में झुलसा रोग का अंत तुरंत!
◆ मौसम में बदलाव व तापमान गिरने से इस समय आलू की फसल में अगेती झुलसा और पछेती झुलसा रोग लगने की संभावना बनी रहती है।
◆ अगेती झुलसा दिसंबर महीने की शुरुआत में लगता है।
◆ अगेती झुलसा में पत्तियों की सतह पर छोटे-छोटे भूरे रंग के धब्बे बनते हैं।
◆ सर्वप्रथम नीचे की पत्तियों पर संक्रमण होता है जहाँ से रोग ऊपर की ओर बढ़ता है।
◆ जिनमें बाद में चक्रदार रेखाएं दिखाई देती है।
◆ उग्र अवस्था में धब्बे आपस में मिलकर पत्ती को झुलसा देते हैं।
◆ इसके प्रभाव से आलू छोटे व कम बनते हैं।
◆ जबकि पछेती झुलसा दिसंबर के अंत से जनवरी के शुरूआत में लग सकता है।
◆ इस समय आलू की फसल में पछेती झुलसा रोग लग सकता है। पछेती झुलसा आलू के लिए ज्यादा नुकसानदायक होता है।
◆ इस बीमारी में पत्तियां किनारे व शिरे से झुलसना प्रारम्भ होती है। जिसके कारण पूरा पौधा झुलस जाता है।
◆ पौधों के ऊपर काले-काले चकत्ते दिखाई देते हैं जो बाद में बढ़ जाते हैं। जिससे कंद भी प्रभावित होता है।
◆ झुलसा के नियंत्रण के लिए पनाका एम् 45 (Mancozeb 75% WP) @ 45 ग्राम प्रति पंप, कैपासिटी (Captan 70% + Hexaconazole 5% WP) @ 40 ग्राम प्रति पंप, अजेक्स (Azoxystrobin 23 % SC) @ 20 मिली प्रति पंप, रोजतम (Azoxystrobin 11% + Tebuconazole 18.3% SC) @ 20 मिली प्रति पंप के दर से इनमे से कोई सी भी दवाई का छिड़काव कर सकते है।
◆ स्त्रोत:- AgroStar
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