सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
आलू की फसल में पानी की व्यवस्था
• इस फसल के लिए मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर कुल 50 से 60 सेमी पानी की आवश्यकता होती है।
• छोटी अवधि की किस्मों में कम पानी की आवश्यकता होती है और लंबी अवधि की किस्मों में अधिक पानी की आवश्यकता होती है। जब मिट्टी में फसल की आवश्यकता से 60% नमी मौजूद हो तब फसल को पानी दें।
• फसल के संवेदनशील चरणों के दौरान जैसे पौधा रोपण, स्टेलोनाईजेशन ,कंद विस्तार चरण पर पानी की आपूर्ति की जानी चाहिए।
• रोपण के 4 से 7 दिनों के बाद पहली बार हल्का पानी दिया जाना चाहिए।
• जब आलू विकसित होने लगते हैं तब पानी दिया जाना चाहिए। मध्यम मिट्टी में, 7 दिनों के अंतराल पर 12 बार पानी दिया जाना चाहिए।
• पानी देने के लिए मेड़ और कुंड विधि या स्प्रिंकलर सिंचाई विधि का उपयोग किया जाना चाहिए। आलू की जड़ें मिट्टी में अधिकतम 60 सेमी गहराई तक जाती हैं। वे 30 सेमी की ऊपरी परत से लगभग 70% पानी अवशोषित करती हैं। शेष 30% पानी निचली परतों से अवशोषित होता है।_x000D_
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संदर्भ- एग्रोस्टार एग्रोनॉमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस, 12 दिसम्बर 2018