AgroStar
सभी फसलें
कृषि ज्ञान
कृषि चर्चा
अॅग्री दुकान
अश्वगंधा की उन्नत खेती!
नई खेती नया किसानTractor Junction
अश्वगंधा की उन्नत खेती!
👉🏻अश्वगंधा की खेती तीन गुना फायदा देने वाली फसल है। इसका उत्पादन करके किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमा कर मालामाल हो सकते हैं। यदि सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो बेहतर उत्पादन प्राप्त कर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। इसकी बाजार मांग हर मौसम में बनी रहती है। बड़ी-बड़ी आर्युवेर्दिक दवा निर्माता कंपनियां इसका अपनी दवाओं में इस्तेमाल करती है। अश्वगंधा की खेती खारे पानी में भी की जा सकती है। वहीं इसकी फसल में रोग और कीटों का प्रकोप भी कम होता है। इस तरह देखा जाए तो अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। क्या है अश्वगंधा- 👉🏻अश्वगंधा एक औषधि है। इसे बलवर्धक, स्फूर्तिदायक, स्मरणशक्ति वर्धक, तनाव रोधी, कैंसररोधी माना जाता है। इसकी जड़, पत्ती, फल और बीज औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। आयुवेर्दिक दवाओं में इसका उपयोग होता है। सभी जड़ी बूटियों में से अश्वगंधा सबसे अधिक प्रसिद्ध जड़ी बूटी मानी जाती है। अश्वगंधा खेती : अश्वगंधा के गुण - 👉🏻शोधकर्ताओं के अनुसार अश्वगंधा के प्रयोग से तनाव और चिंता के लक्षणों को दूर किया जा सकता है। इसका प्रयोग कई बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है। अश्वगंधा में कई तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते है। यह गुण शरीर में कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रण करता है। जिससे हृदय संबंधित विकार होने की संभावना नहीं रहती है। इसका प्रयोग हृदय को स्वास्थ रखने में किया जा सकता है। इसके प्रयोग से हृदय विकार होने की संभावना कम होती है। कैंसर रोग से बचाने में अश्वगंधा काफी सहायक है। थायराइड की बीमारी में भी इसके प्रयोग की सलाह वैद्यों द्वारा दी जाती है। यह तनाव का दूर करने और इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करता है। सर्दी-खांसी की समस्या में भी इसके प्रयोग से आराम मिलता है। ये बालों की गिरती समस्या को दूर करने में सहायक है। ध्यान रहे इसका प्रयोग चिकित्सक की सलाह के अनुसार करना चाहिए। क्योंकि इसके गलत तरीके से प्रयोग करने पर नुकसान भी हो सकता है। भारत में कहां-कहां होती है अश्वगंधा की वैज्ञानिक खेती- 👉🏻भारत में इसकी खेती 1500 मीटर की ऊंचाई तक के सभी क्षेत्रों में की जा रही है। भारत के पश्चिमोत्तर भाग राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश आदि प्रदेशों में अश्वगंधा की खेती की जाती है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में अश्वगंधा की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। मध्य प्रदेश के मनसा, नीमच, जावड़, मानपुरा और मंदसौर और राजस्थान के नागौर और कोटा जिलों में अश्वगंधा की खेती की जा रही है। बता दें कि भारत में अश्वगंधा की जड़ों का उत्पादन प्रति वर्ष 2000 टन है। जबकि जड़ की मांग 7,000 टन प्रति वर्ष है। अश्वगंधा के बीज की मात्रा व बीजोपचार- 👉🏻नर्सरी के लिए प्रति हेक्टेअर पांच किलोग्राम व छिडक़ाव विधि के लिए प्रति हेक्टेअर 10 से 15 किलो अश्वगंधा का बीज की जरूरत पड़ती है। बोआई के लिए जुलाई से सितंबर तक का समय उपयुक्त माना जाता है। वहीं जैविक विधि से नर्सरी को उपचारित करने के लिए गोमूत्र का प्रयोग किया जाता है। स्त्रोत:- Tractor Junction 👉🏻प्रिय किसान भाइयों दी गयी उपयोगी जानकारी को लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
18
2