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अरे वाह गजब का है ये धान का थ्रेशर!
👉हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक और उपलब्धि को विश्वविद्यालय के नाम किया है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई ड्रायर, डी हस्कर और पॉलिशर के साथ एकीकृत धान थ्रेशर मशीन को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय की ओर से पेटेंट मिल गया है। विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह मशीन किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी।
👉मशीन का आविष्कार महाविद्यालय के फार्म मशीनरी और पावर इंजीनियरिंग विभाग के डा. मुकेश जैन, आई.सी.ए. आर. के पूर्व ए.डी.जी. डा. कंचन के. सिंह और आई.आई.टी. दिल्ली की प्रोफेसर सत्या की अगुवाई में किया गया। इस मशीन को भारत सरकार की ओर से इसका प्रमाण-पत्र मिल गया है, जिसकी पेटेंट संख्या 536920 है।
👉कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि विश्वविद्यालय को लगातार मिल रही उपलब्धियां यहां के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है। विकसित की गई इस नई तकनीक के लिए पेटेंट मिलने पर उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ये बहुत ही गौरव की बात है कि इस तरह की तकनीकों के विकास में सकारात्मक प्रयासों को विश्वविद्यालय हमेशा प्रोत्साहित करता रहता है। उन्होंने कहा कि चावल मुख्य खाद्य पदार्थों में शामिल है। अब किसान खेत में ही मशीन का उपयोग करके धान के दानों को फसल से अलग कर सकेंगे, सुखा कर सकेंगे। पहले किसानों को धान से चावल निकालने के लिए मिल में जाना पड़ता था। अभी तक खेत में ही चावल निकालने की कोई मशीन नहीं थी। अब किसान अपने घर के खाने के लिए भी ब्राउन राइस निकाल सकेंगे।
👉धान थ्रेशर की मुख्य विशेषताएं:-
कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एस. के. पाहूजा ने बताया कि ये मशीन 50 एच. पी. ट्रैक्टर के लिए अनुकूल है। ड्रायर में 18 सिरेमिक इन्फ्रारैड हीटर (प्रत्येक 650 वॉट) शामिल है। इस मशीन की चावल उत्पादन क्षमता 150 किलोग्राम/घंटा तक पहुंच जाती है। मशीन की कीमत 6 लाख रुपए है।
👉स्रोत:-AgroStar
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