सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
अरंडी की फसल में सल्फर का महत्व एवं कमी के लक्षण!
अरंडी उत्पादन में गंधक का महत्व:-
👉🏻देश के अधिकतर सघन खेती वाले क्षेत्र में गंधक की साँद्रता अनुकूलतम से भी कम है। गंधक के अनुप्रयोग से तिलहनी फसलों में उचित तेल मात्रा को प्राप्त किया जा सकता है। फसल की अच्छी शुरूआत के लिए गंधक महत्वपूर्ण है। कली निकलने की अवस्था में कुल पुष्प भार, पुष्पन अवस्था में तथा परिपक्व अवस्था आदि गंधक की मात्रा से प्रभावित होते हैं।
👉🏻कुल पुष्प भार को बढ़ाने के लिए गंधक महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमीनों अम्ल, प्रोटीन, विटामिन तथा हरित लवक के निर्माण में गंधक एक महत्वपूर्ण घटक है। गंधक की कमी वाली मृदाओं एवं तिलहनी फसलों में गंधक की अनुक्रिया बहुत अच्छी पायी गई है। गंधक अनुप्रयोग से तेल की मात्रा में बढ़ोत्तरी करता है।
अरंडी में सल्फर की कमी के लक्षण:-
👉🏻गंधक की कमी से पौधे की वृद्धि अकस्मात रूक जाती है एवं पौधे की उपरी पत्तियाँ पीली पड़ जाती है, तत्पश्चात तना छोटा एवं पतला हो जाता है।
👉🏻गंधक की कमी के लक्षण नत्रजन की कमी के लक्षणों के समान ही दिखाई देते हैं, परंतु गंधक नत्रजन की तरह पौधे में गतिशील नहीं होता है, अतः पुरानी पत्तियों में अवस्थिरित नहीं हो पाता है, जिससे इसकी कमी के लक्षण नई पत्तियों पर दिखाई देते हैं।
👉🏻गंधक की कमी से क्रूसीफेरी कुल के पौधे अधिक संवेदनशील होते हैं| इनमें पत्तियों का निचला हिस्सा लाल व लाल-भूरे रंग में बदल जाता है तथा भयंकर कमी की दशा में पत्तियाँ ऊपर तथा नीचे से बैंगनी रंग की हो जाती हैं व नीचे की ओर मुड़ जाती हैं।
इसकी कमी से पुष्पन व बीज निर्माण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
सल्फर उपलब्ध कराने के लिए निम्न उर्वरकों का उपयोग करें-
👉🏻अमोनियम फॉस्फेट सल्फेट, कैल्शियम सल्फेट, अमोनियम सल्फेट नाइट्रेट, अमोनियम सल्फेट, जिंक सल्फेट, सिंगल सुपर फॉस्फेट, तात्वीय गंधक आदि।
स्रोत:- एग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस,
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