सलाहकार लेखएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
अरंडी की खेती के लिए खेत की तैयारी और उर्वरक प्रबंधन!
किसान भाइयों अरंडी की फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए खेत की तैयारी एवं खाद और उर्वरक प्रबंधन करना बहुत ही आवश्यक है। _x000D_
खेत की तैयारी:- अरंडी का पौधा मजबूत होता है और जड़ें गहराई तक जाती हैं। इसलिए गहरी जुताई फसल के लिए लाभदायक है। एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें तथा दो- तीन जुताई कल्टीवेटर या हैरो से आवश्यकतानुसार करें और पाटा लगाकर खेत को समतल करें। वर्षा होने पर खेत में उपयुक्त नमी की अवस्था में जुताई करें ताकि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाए और खरपतवार आदि नष्ट हो जाएं। _x000D_
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खाद और उर्वरक:- खाद और उर्वरक का प्रयोग मिट्टी की जाँच के आधार पर ही करना चाहिये, ताकि आवश्यक उर्वरक की मात्रा ही दी जाये और अनावश्यक लागत से बचा जा सके। असिंचित अरंडी की फसल में 40 किलोग्राम नत्रजन और 20 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हैक्टेयर प्रयोग करें। वहीं अरंडी की सिंचित फसल के लिये 80 किलोग्राम नत्रजन और 40 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हैक्टेयर प्रयोग करें। आधा नत्रजन और पूरा फास्फोरस बुवाई के समय दें एवं शेष बची आधी नत्रजन को खड़ी फसल में 30 दिन की अवस्था पर वर्षा होने पर दें। अरंडी एक तिलहन फसल है, जिसका उत्पादन और तेल की मात्रा बढ़ाने के लिये बुवाई से पूर्व 20 किलोग्राम सल्फर प्रति हैक्टेयर को जिप्सम 200 से 250 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर के द्वारा देना लाभदायक रहता है।
स्रोत:- एग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस
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