AgroStar
सभी फसलें
कृषि ज्ञान
कृषि चर्चा
अॅग्री दुकान
अब किसानों के मददगार बनेंगे बत्तख, राइस डक टेक्नोलॉजी से!
कृषि वार्ताTV9 Hindi
अब किसानों के मददगार बनेंगे बत्तख, राइस डक टेक्नोलॉजी से!
👉वैज्ञानिक विधि से बत्तख पालन (Duck farming) से किसानों को बड़ा फायदा होने वाला है. एक रिसर्च के मुताबिक किसान राइस डक टेक्नोलॉजी से धान की खेती करके ज्यादा लाभ पा सकते हैं. केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान कटक के सहयोग से बतख धान एकीकरण खेती की शुरुआत की गई है. ब्रीडिंग के बाद बत्तखों को धान की कटाई से एक महीने पहले तक खेत में चरने की अनुमति दी जाती है. बत्तखें धान के खेतों में रोजाना 5-6 घंटे रहती हैं. इससे धान की उत्पादकता में 20 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है। 👉केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान बरेली के डॉ. गौतम कुलौली बताते हैं कि बत्तख पालन से किसानों की अच्छी कमाई हो रही है, लेकिन उसको धान की खेती में शामिल करने से कई बेहतरीन शोध परिणाम मिले हैं. बत्तख पालन के लिए घास के मैदान और तालाबों को प्राकृतिक संसाधनों के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. कटाई के बाद धान का खेत बत्तखों के लिए उत्कृष्ट चारा प्रणाली का एक साधन प्रदान करता है। कम होगा रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल:- 👉इसके अलावा, तालाबों, नदियों, नहरों, घरों और अन्य जल निकायों जैसे विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र भी लाभ प्रदान करते हैं. बत्तख के लिए धान के गिरे हुए अनाज, कीड़े, घोंघे, केंचुए, छोटी मछलियां और शैवाल जैसे जल पौधे आदि सस्ते प्राकृतिक चारा संसाधनों के उपयोग किए जाते हैं. बत्तख चावल के खेतों में कीड़ों, घोंघों, खरपतवारों को खाकर साफ करते हैं. वे धान के खेतों को खाद के रूप में अपने मलमूत्र से समृद्ध करते हैं. इसलिए इनके जरिए रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को कम भी किया जा सकता है। कम हो जाते हैं खरपतवार:- 👉डॉ. कुलौली के मुताबिक बत्तखों के कारण पानी की हलचल और पानी के अशांत होने पर प्रकाश संश्लेषण में कमी के माध्यम से खरपतवारों मे कमी आती है. उनकी गतिविधियां धान की जड़, डंठल और पत्ती के विकास को भी बढ़ाती हैं, जिससे नाइट्रोजन की उपलब्धता में वृद्धि के कारण फसल की वृद्धि में तेजी आती है. फास्फोरस और पोटाश में भी वृद्धि होती है. लगभग 200-300 बत्तख एक हेक्टेयर धान के खेत के लिए उपयुक्त हैं। किसानों की आय में होगी वृद्धि:- 👉राइस डक टेक्नोलॉजी से चावल की खेती पहले मीथेन उत्सर्जन में कमी का कारण बनती है और बाद में ग्लोबल वार्मिंग में. केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक के सहयोग से बतख चावल एकीकरण की शुरुआत से किसानों की आय में वृद्धि की उम्मीद है. धान से किसान की कमाई में 50 फीसदी तक का लाभ हो सकता है. इस विधि से खेती करने के लिए कई तरह के प्रोग्राम भी चलाए जा रहे हैं। स्रोत:- TV9 Hindi, 👉 प्रिय किसान भाइयों अपनाएं एग्रोस्टार का बेहतर कृषि ज्ञान और बने एक सफल किसान। दी गई जानकारी उपयोगी लगी, तो इसे लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!
7
3
अन्य लेख