कृषि वार्ताAgroStar
अब किसानों के चेहरे पर लौट आयेगी खुशी !
🌱किसानों को द्वारा सीजन के अनुसार कई तरह की विभिन्न फसलों की खेती की जाती है. ताकि किसान कम समय में अधिक उपज के साथ अच्छा लाभ प्राप्त कर सकें. अगर आप भी फसलों से अच्छा लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो ऐसे में आपको अपने खेत में सीजन के अनुसार खेती करनी चाहिए. बता दें कि इस समय रबी का सीजन चल रहा है, तो ऐसे में किसान अपने खेत में रबी सीजन की फसलों को लगा सकते हैं.
🌱आलू की खेती :-
आलू के कंदों का निर्माण होने के लिए 20 डिग्री सेल्सियस तापक्रम पर सबसे अधिक होता है. जैसे तापमान में वृद्धि होती है, वैसे ही कंदों का निर्माण में भी कम होने लगता है.इसलिए सर्दियों के दिनों में आलू की खेती किसानों के द्वारा सबसे अधिक की जाती है. सर्दियों के महीने में इसकी बुवाई, पैदावार और भंडारण काफी आसान होता है. देखा जाए तो आलू की सभी किस्में 70 से 100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
🌱मटर की खेती :-
मटर के बीज को उगाने के लिए 22 डिग्री सेल्सियस के तापमान की जरुरत होती है. बीज के अंकुरित होने के बाद इसके अच्छे विकास व फली में बेहतर दाने पड़ने के लिए 10 से 15 सेल्सियस के बीच का तापमान होना चाहिए.मटर की बवाई करने के लिए 35 से 40 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ में प्रयोग करें.इसके अलावा बुवाई करने से पहले कप्तान या थीरम 3 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 2.5 ग्राम से प्रति किलो बीज का उपचार करें. ऐसा करने से उत्पादन क्षमता में 8 से 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है.
🌱लहसुन की खेती :-
लहसुन एक तरह की औषधीय खेती है. किसानों को इसकी बुवाई के लिए 500-700 किग्रा प्रति हेक्टेयर की बीज काफी है. इसकी अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को लहसुन की बुवाई के समय कतार विधि का उपयोग करना चाहिए और साथ ही लहसुन के कंदों का उपचार भी करना चाहिए. इसके बाद खेत में 15x7.5 सेमी की दूरी पर इसकी बुवाई करना शुरू करें.
🌱शिमला मिर्च की खेती :-
शिमला मिर्च की खेती से अच्छा उत्पादन पाने के लिए किसान को पॉलीहाउस या लो टनल विधि का उपयोग करना चाहिए. शिमला मिर्च के उन्नत बीजों से नर्सरी तैयार कर किसान 20 दिन के बाद ही पौधों की रोपाई करना शुरू कर सकते हैं और साथ ही यूरिया की 25 किग्रा. या नाइट्रोजन की 54 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से डालें.
🌱टमाटर की खेती :-
टमाटर की भी किसान पॉलीहाउस में रोपाई कर सकते हैं. टमाटर की फसल में कीट-रोग नियंत्रण का बेहद ध्यान रखें. क्योंकि इसकी फसल में जल्दी रोग लग जाते हैं. अच्छी पैदावार के लिए फसल में 40 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फास्फेट, 60-80 किग्रा पोटाश के साथ जिंक 20-25 किग्रा, 8-12 किग्रा बोरेक्स का इस्तेमाल करें.
🌱स्त्रोत:- AgroStar
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