जैविक खेतीएग्रोस्टार एग्रोनोमी सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस
अनार में सूत्रकृमि के नियंत्रण
भारत में अनेक राज्य में अनार लगाने के प्रमाण बढ़ गया है. अनार के पेड़ में विविध कीट और रोगों के कारण नुकसान होते है। पेड़ के सूखे रोग के साथ आँखों से ना दिखने वाले सूत्रकृमि का प्रकोप अनार में ज्यादा प्रमाण में दिखाई दे जा रहा है। इसलिए सूत्रकृमि का समय पर नियंत्रण करना आवश्यक है.
1. कलम बनाते समय सुत्रकृमीयुक्त मिट्टी का उपयोग न करे
2. अनार के पौधे लगाने से पहले 1 से 2 साल तक जमीन में सब्जियाँ और दलहनी फसल नहीं लगाई गयी होना चाहिए।
3. अनार की बुवाई से करने से पहले मिट्टी की 2 से 3 बार गहरी जुताई करके गर्मियों में मिट्टी को तपने दे.
4. अनार की कलम लगाते समय, गड्डे में नीम की खल का उपयोग करें।
5. अनार में टमाटर, बैंगन, मिर्च, भिंडी, खीरा आदि अंतर फसल न लें।
6. अनार में बहार लेते समय, ज़मीन में पेड़ की जड़ में 1 से 1.5 किलो प्रति पेड़ नीम खल का उपयोग करें।
7. सूत्रकृमि के नियंत्रण के लिए जैविक उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए । उदाहरण के लिए। पैसीलोमैक्सिस , ट्राइकोडर्मा प्लस, स्यूडोमोनास के उपयोग को सूत्र द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
स्रोत - एगोस्टार एग्रोनॉमी सेंटर एक्सीलेंस
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