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हरे चारे के संकट से निपटने का अच्छा विकल्प !
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हरे चारे के संकट से निपटने का अच्छा विकल्प !
🐄देश के कई हिस्सों में पशुपालक चारे की कमी और उसकी महंगाई से जूझ रहे हैं. देर से हुई बारिश और फिर बाद में अतिवृष्टि से इस संकट को और गहरा दिया है. कुछ राज्यों में किसान अपने पशुओं का धान की पराली का चारा बनाकर भी खिलाते हैं, लेकिन अतिवृष्टि से वो भी सड़ गया है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है जिन राज्यों में चारे का संकट है वहां पर पशुपालन के काम में अजोला का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह संकट को आंशिक रूप से दूर कर सकता है। 🐄अजोला का इस्तेमाल ज्यादातर उन सूबों के पशुपालक करते हैं जहां पर हरे चारे का संकट है. यह पानी में होता है और प्रोटीन का अच्छा सोर्स है. जिससे दूध की मात्रा बढ़ जाती है. यानी महंगा हरा चारा खरीदकर खिला रहे पशुपालकों के लिए यह एक अच्छा विकल्प है. अजोला को पशुपालन के लिए अमृत कहा जाता है। आखिर अजोला होता क्या है? 🐄अजोला पौष्टिक तत्वों से भरपूर एक जलीय पौधा है. इसकी पत्तियों में हरित शैवाल यानी ग्रीन एल्गी पाई जाती है. यह पशुओं के चारे का उत्तम विकल्प है. अहम बात यह है कि इसे तैयार करने में ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती. आप पानी में से 95 फीसदी अजोला निकाल लीजिए और अगले दिन वो फिर से 100 फीसदी जगह घेर लेगा. यानी तैयार हो जाएगा. इससे दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं। कैसे होता है अजोला का प्रोडक्शन - 🐄जो पशुपालक अजोला का प्रोडक्शन करना चाहते हैं वो ईंट से घेरकर प्लास्टिक के इस्तेमाल से इसकी क्यारी बना लें. यानी हौज टाइप का स्ट्रक्चर तैयार कर लें. इसमें पानी भर लें और अजोला के कुछ पौधे डाल दें. अजोला के लिए जमीन की सतह से उपर पांच से 10 सेमी जलस्तर की आवश्यकता होती है. इसके लिए तापमान 25-30 डिग्री होना चाहिए. वातावरण और जलवायु का अजोला उत्पादन पर विशेष प्रभाव न पड़ने के कारण इसे देश के लगभग सभी राज्यों में पैदा किया जा सकता है। कितना पाया जाता है प्रोटीन? 🐄कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि दुधारू पशुओं के पोषण और स्वास्थ्य के लिए हरा चारा एक महत्वपूर्ण सोर्स है. लेकिन वर्तमान समय का यह भी एक कटु सत्य है कि हरे चारे की समस्या है. अजोला में सभी जरूरी पोषक तत्व पाए जाने के कारण गाय और भैंस की वृद्धि और दूध उत्पादन में यह सहायक है. वैज्ञानिकों के मुताबिक पशुओं के चारे में इसे मिलाने से पहले अच्छी तरह से धोना चाहिए. इसमें 25 से 30 फीसदी तक प्रोटीन पाया जाता है. दावा है कि प्रति किलोग्राम अजोला उत्पादन के लिए 1 रुपये से कम खर्च आता है। 👉स्त्रोत:-Agrostar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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