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🌱किसानों के लिए खुशखबरी है. सरकार के अनुसंधान समूह, आईसीएआर और आईएआरआई ने ‘पूसा जेजी 16’ नाम से काबुली चने की एक किस्म को विकसित किया है. इस किस्म की खेती से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, दक्षिणी राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में चने की उत्पादकता बढ़ जाएगी. 🌱पूसा जेजी 16’ की खासियत है कि इसे कम सिंचाई की जरूरत पड़ती है. यानी इस किस्म की खेती सूखे इलाकों में की जा सकती है. ऐसे में कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस किस्म की खेती करने से मध्य भारत में चने की पैदावार बढ़ाने में मदद मिल सकती है. 🌱पूसा जेजी 16 किस्म बनाने के लिए जीनोम-सहायता प्राप्त प्रजनन तकनीकों का उपयोग किया गया है. इसने ICC 4958 से सूखा-प्रतिरोधी जीन को मूल किस्म, JG 16 में ट्रांसफर करना संभव बना दिया. काबुली चना अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम ने राष्ट्रीय स्तर पर इस किस्म का परीक्षण किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह सूखे का सामना कर सके. 🌱चने की उत्पादकता बढ़ जाएगी:- जानकारों के मुताबिक, इस किस्म की खेती से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, दक्षिणी राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में चने की उत्पादकता बढ़ जाएगी. साथ ही यह किस्म फ्यूजेरियम विल्ट और स्टंट रोगों के लिए प्रतिरोधी भी है. यह किस्म 110 दिन से भी कम समय में पक कर तैयार हो जाती है और अपने मूल जेजी 16 से अधिक उत्पादन कर सकती है. यहां तक कि सूखे से प्रभावित होने पर भी (1.3 टन/हेक्टेयर बनाम 2 टन/ हेक्टेयर) उपज मिल सकती है. कृषि मंत्रालय ने काबुली की किस्म ‘पूसा जेजी 16’ की घोषणा की, जिससे आईसीएआर-आईएआरआई के प्रमुख ए.के. सिंह खुश हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह किस्म देश के मध्य क्षेत्र में किसानों के लिए एक बड़ी मदद होगी, जहां सूखा आम है. 👉स्त्रोत:-Agrostar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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