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कैसे करें, फसलों की कटाई व भण्डारण?
कृषि वार्ताAgrostar
कैसे करें, फसलों की कटाई व भण्डारण?
👉🏻खेती-किसानी में फसलों की कटाई एवं गहाई एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। आजकल श्रमिकों की उपलब्धता एवं बहुत अधिक श्रमिकी किसानों के लिए एक गंभीर समस्या बन गयी है। परंपरागत रूप से कटाई व गहाई का महीनों तक चलने वाला यह कार्य मशीनों के उपयोग से कुछ दिनों में ही संपन्न हो जाता है। समय पर कटाई एवं गहाई न होने से फसल की क्षति की आशंका रहती है। इससे अगली फसल की बुआई में देरी होती है, जिससे उसकी उपज में कमी आती है। कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेष का प्रबंधन:- 👉🏻कभी भी खेतों में बचे हुए फसल अवशेषों को जलाना नहीं चाहिए। खेतों में आग लगाने से किसान मित्र जैसे कि गिरगिट, केंचुए तथा कई प्रकार के लाभकारी जीवाणु इत्यादि मर जाते हैं। अन्य माइक्रो-न्यूट्रीएंट भी खत्म हो जाते हैं, जो कि मृदा में होने वाली माइक्रोबियल प्रक्रियायों को प्रभावित करते हैं। इससे उपज में भी कमी आती है। लगातार खेतों में आग लगाने से खेत बंजर होने की आशंका बनी रहती है। 👉🏻किसान बचे हुए फसल अवशेष को स्ट्रॉ बेलर से इकट्ठा कर बंडल बनाकर रख सकते हैं। स्ट्रॉ बेलर को ट्रैक्टर के पी.टी.ओ. द्वारा चलाया जाता है, जिसमें रील प्रकार की स्ट्रॉ पिकअप असेम्बली और स्ट्रॉ को संघननकर बांधने की इकाई होती है। यह स्वचालित रूप से रीली की मदद से खेत में से फसल अवशेष को उठाकर पफीडर की मदद से बेल चेम्बर में स्थानांतरित करता है। यह मशीन फसल अवशेष को दबाकर बंडल बनाती है। इन बंडलों को एकत्रित करके वर्षों तक रख सकते हैं। किसान कम्बाइन हार्वेस्टर से काटी गयी फसल के बचे हुए फसल अवशेषों को स्ट्रॉ कम्बाइन के उपयोग से भूसा बना सकते हैं। इस मशीन द्वारा ग्रेन कम्बाइन हार्वेस्टर के परिचालन उपरांत फसल की बची हुई खूंटी एवं पेंफके गए पुआल को एकत्रित कर मशीन के सिलेंडर कॉन्क्लेव इकाई में भेजा जाता है, जहां पर इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर कॉन्क्लेव से पारित किया जाता है। इस मशीन से भूसा बनाते समय किसान कुछ अनाज भी प्राप्त कर सकते हैं, जो कि अवशेष के साथ खेतों में ही रह जाते हैं। भंडारण:- 👉🏻पहले किसान अनाज का भंडारण बखरी, कोठार और मढ़ई में करते थे। आजकल भंडारण की आधुनिक तकनीकियों का विकास हो गया है। घर के अंदर किये जाने वाले भंडारण में कनाजा, कोठी, सन्दूक और मिट्टी से बने कूंड आदि के आकार से बने ढांचों का प्रयोग किया जाता हैं। घरके बाहर भंडारण करने के लिए बांस तथा मिट्टी से बने ढांचे का प्रयोग करते हैं। कचेरी अनाज भंडारण की एक पुरानी विधि है। हजेऊ जमीन के नीचे अनाज भंडारण की विधि को कहते हैं। बहुत लंबे समय तक के लिए भंडारण करने के लिए ये विधियां उपयुक्त नहीं हैं। पारंपरिक विधियों में आने वाली समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आधुनिक अनाज भंडारण विधियों का उपयोग करना उचित होगा। 👉🏻छोटे स्तर के भंडारण के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित डिब्बे के आकार की संरचना, और पूसा में विकसित हापुर टेक्का प्रकार की संरचना का प्रयोग करते हैं। बड़े स्तर पर अनाज भंडारण के लिए ढक्कन और साइलोस प्रकार के ढांचे का उपयोग भी किया जाता है। साइलोस धातु या सीमेंट के बने होते हैं। 👉🏻भंडारित अनाज का कीटों, चूहों और नमी से बचाव करना चाहिए। सामान्यतः खपरा बेटल, रेड फ्रलोर बेटल, लेसर ग्रेन बोरर मुख्य कीट हैं, जो अनाज को नुकसान पहुंचाते हैं। गहाई मशीनों का प्रयोग करते समय सावधानियां:- 👉🏻गहाई मशीन से होने वाली दुर्घटनाओं से बचाव के लिए भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित परनाला (हापर) तथा हडम्बा थ्रेसर खरीदने वाले किसान फसल वापिस खींचने वाला यंत्र जरूर लगायें। 👉🏻बिजली की मोटर को बंद करने वाला बटन काम करने वाले व्यक्ति के पास लगा होना चाहिए, जिससे आपातकाल में मोटर जल्दी बंद कर सकें। 👉🏻गहाई मशीन पर काम करते समय ढीले कपड़े खासतौर पर धोती, दुपट्टा, खुली बाह वाली कमीज तथा घड़ी या कड़ा न पहनें। दस्तानों का प्रयोग करें। 👉🏻नशा या शराब का सेवन करके थ्रेसर पर काम न करें। 👉🏻धूल तथा भूसा से बचने के लिए नाक पर कपड़े या मास्क तथा आखों की सुरक्षा के लिए चश्मे का प्रयोग करें। 👉🏻किसी भी आदमी को गहाई मशीन पर लगातार 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करना चाहिए। थकावट व अनिद्रा से दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। 👉🏻काम करते समय बात न करें या किसी और तरफ ध्यान न बांटे। गहाई मशीन चलते समय किसी भी पुर्जे को खोलने या कसने की कोशिश न करें। अनाज भंडारण में ध्यान देने योग्य मुख्य सावधानियां:- 👉🏻अनाज भंडारण से पहले अनाज को सूर्य की रोशनी में पूरी तरह सुखा लेना चाहिए। 👉🏻इसमें नमी 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। 👉🏻भंडारण से पहले अनाज साफ कर लेना चाहिए। टूटे अनाज में फफूंद आदि से संक्रमण की आशंका अधिक होती है। अतः टूटे दानों को अलग कर लेना चाहिए। अनाज भरने के लिए नए बोरों का इस्तेमाल करना चाहिए। 👉🏻प्रयोग किये गए बोरों में फिर से अनाज भरने से पहले बोरों को कीटनाशक से उपचारित कर लेना चाहिए। 👉🏻अनाज को ढोने से पहले बैलगाड़ी, ट्रैक्टर, ट्रक आदि साफ कर लेनी चाहिए। 👉🏻अनाज से भरी बोरियों को दीवाल से सटा कर न रखें तथा बोरियों से बोरियों के बीच भी कुछ दूरी रखें। 👉🏻अनाज को कीटों से बचने के लिए नीम का पाउडर का प्रयोग करें। स्रोत:- AgroStar, 👉🏻किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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