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कमाल की मशीनएक साथ अनेक बीजों की बुवाई!
कृषि आविष्कारThe Better India
कमाल की मशीनएक साथ अनेक बीजों की बुवाई!
🌱🌱किसानी एक ऐसा पेशा है, जिसमें कई तरह की समस्याओं का सामना किसानों को करना पड़ता है। वह चाहे बाढ़ की समस्या हो या फिर सूखा। इसके अलावा भी कई तरह की परेशानियों का सामना हर साल किसान करते हैं। जैसे पलायन के कारण खेती में मदद के लिए हुनरमंद कामगार आसानी से नहीं मिल पाते हैं। साथ ही, कृषि के लिए बाजारों में उपलब्ध बड़ी-बड़ी मशीनें सभी किसान नहीं खरीद सकते हैं। अगर कोई खरीद भी ले तो जरुरी नहीं कि मशीन किसानों की जरूरत के हिसाब से ही काम करे। लेकिन इन समस्याओं से घबराकर खेती छोड़ना हल नहीं है बल्कि सबको मिलकर इन परेशानियों का समाधान ढूंढ़ना चाहिए। 🌱🌱कर्नाटक के दक्षिण कन्नडा के पुत्तुर में रहने वाले राकेश कृष्ण के. मंगलुरु के एक्सपर्ट पीयू कॉलेज में 12वीं कक्षा के छात्र हैं। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने किसानों के लिए एक खास तरह की मशीन बनाई है, जिससे किसान बहुत ही आसानी से कई तरह की फसलों के बीजों की रोपाई कर सकते हैं। बीजों की रोपाई के अलावा भी यह मशीन और कई काम करती है। 🌱🌱द बेटर इंडिया से बात करते हुए राकेश ने बताया कि उन्होंने अपनी मशीन को ‘सीडोग्राफर’ नाम दिया है। अपने इस नवाचार के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले हैं। जिनमें साल 2021 का प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बालशक्ति पुरस्कार भी शामिल है। राकेश ने बताया, “मेरे पिता एक किसान हैं और माँ कॉलेज में प्राध्यापिका हैं। बचपन से ही खेती से जुड़े होने के कारण मुझे किसानों की परेशानियों की समझ होने लगी थी। लेकिन तब यह नहीं पता था कि इन परेशानियों को हल कैसे कर सकते हैं? हमारे घर में एक पुराना ‘ड्रम सीडर’ है। लेकिन यह कभी भी बहुत प्रभावी ढंग से खेती में काम नहीं आया क्योंकि इसे किसानों की जरूरत के हिसाब से नहीं बनाया गया है। इसलिए मुझे लगा कि खेती के लिए कोई ऐसी मशीन होनी चाहिए जिस किसान सिर्फ एक नहीं बल्कि कई कामों के लिए इस्तेमाल में ले सकें।” 11 साल की उम्र से ही शुरू कर दिया था मशीन पर काम - 🌱🌱राकेश ने आगे बताया कि मशीन बनाने की प्रेरणा उन्हें अपनी बड़ी बहन रश्मिपार्वती से मिली। उनकी बहन बायोलॉजी के क्षेत्र में जर्मनी से पीएचडी कर रही हैं। उन्होंने कहा, “मेरी बहन हमेशा अपने साइंस प्रोजेक्ट्स में लगी रहती थीं। उन्होंने अपने कई प्रोजेक्ट्स के लिए अंतर्राष्ट्रीय गोल्ड मैडल भी जीते। वह मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा रही हैं। हालांकि, उनका विषय बायोलॉजी है और मुझे मैकेनिकल क्षेत्र में रूचि है। लेकिन उनके साथ से मुझे शुरू में बहुत मदद मिली। माता-पिता के साथ के अलावा, स्कूल-कॉलेज से भी अध्यापकों का साथ मिला।” 🌱🌱उन्होंने कहा, “सीडोग्राफर से आप धान, रागी, ज्वार, और चना जैसी फसलों के बीजों की आसानी से रोपाई कर सकते हैं। साथ ही, बीज लगाने के बाद मशीन से ही उसे पानी और खाद भी दिया जा सकता है। साथ ही, इसमें एक प्लेट भी लगी है, जो बीज जमीन में बोने के बाद, इसके ऊपर मिट्टी डालती है, जिससे कोई पक्षी या कीड़ा बीजों को खाये नहीं। धान की फसल के लिए किसान पहले खेत में पानी भरकर रोपाई करते हैं और पौध के तैयार होने के बाद इसे दूसरी जगह लगाया जाता है। लेकिन मेरी मशीन से सूखे खेत में ही रोपाई हो सकती है।” 🌱🌱उनका दावा है कि किसान को हाथ से एक हेक्टेयर की बुवाई करने में दो-तीन दिन का समय लगता है। लेकिन इस मशीन से वे मात्र 15-16 घंटे में बुवाई कर सकते हैं। साथ ही, खेत में बिना पानी भरे भी बुवाई हो सकती है। इसलिए किसान लगभग 40% पानी की बचत कर सकते हैं। सीडोग्राफर से खेत में बीजों को समान दूरी और गहराई में लगाया जा सकता है। ताकि सभी बीजों को पनपने के लिए पर्याप्त जगह और पोषण मिले। इससे कटाई के बाद फसल का उत्पादन भी ज्यादा मिलता है। फिलहाल, उनकी मशीन से सिर्फ एक ही कतार में बुवाई होती है। लेकिन उनकी कोशिश है कि वह इसमें और बदलाव करें ताकि एक साथ तीन कतारों में बुवाई हो सके। 🌱🌱राकेश के पिता, रविशंकर बताते हैं कि उन्होंने अपने खेतों में सीडोग्राफर का इस्तेमाल किया है और उनके उत्पादन में लगभग 20% तक की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, “राकेश की मशीन को हमने अपने खेतों में ही नहीं बल्कि दूसरे किसानों के खेतों में भी प्रयोग किया है। मेरे बहुत से किसान दोस्तों के खेतों में जाकर इसे इस्तेमाल किया ताकि पता चल सके कि क्या यह सभी तरह की मिट्टी, जमीन के लिए सही है या नहीं? राकेश ने जो पहला प्रोटोटाइप बनाया था, उसके बाद भी उसने बहुत से बदलाव करके इसे और एडवांस बनाया है।” जीते कई राष्ट्रीय पुरस्कार 🌱🌱राकेश कहते हैं कि उन्होंने केंद्र सरकार के विज्ञान और तकनीक विभाग द्वारा आयोजित नैशनल ‘इंस्पायर अवॉर्ड’ भी जीता है। इसके अलावा, उन्हें 2017 में नैशनल इनोवेशन फेस्टिवल के दौरान राष्ट्रपति भवन में भी तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को अपने इस अविष्कार को दिखाने का मौका मिला था। इस साल उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार के लिए चुना गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनसे वर्चुअल मुलाक़ात की और इस मशीन के बारे में जानकर उनकी सराहना की। स्त्रोत:- TheBetterIndia 👉🏻किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवाद!
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