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आलू का होगा डबल उत्पादन!
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आलू का होगा डबल उत्पादन!
👉आलू यह फसल बहुत तरह की मिट्टी जैसे कि रेतली, नमक वाली, दोमट और चिकनी मिट्टी में उगाई जा सकती है। अच्छे जल निकास वाली, जैविक तत्व भरपूर, रेतली से दरमियानी ज़मीन में फसल अच्छी पैदावार देती है। यह फसल नमक वाली तेजाबी ज़मीनों में भी उगाई जा सकती है पर बहुत ज्यादा पानी खड़ने वाली और खारी या नमक वाली ज़मीन इस फसल की खेती के लिए उचित नहीं होती। 👉ज़मीन की तैयारी:- खेत को एक बार 20-25 सैं.मी. गहरा जोतकर अच्छे ढंग से बैड बनाएं। जोताई के बाद 2-3 बार तवियां फेरें और फिर 2-3 बार सुहागा फेरें। बिजाई से पहले खेत में नमी की मात्रा बनाकर रखें। बिजाई के लिए दो ढंग मुख्य तौर पर प्रयोग किए जाते हैं: और फसल को दीमक और गिडार से बचाने के लिए पावर ग्रो ब्रांड का अग्रोनिल 10 किलोग्राम /एकड़ की दर से आखिरी जुताई के समय प्रयोग करें। 1. मेंड़ और खालियों वाला ढंग 2. समतल बैडों वाला ढंग 👉फासला:- बिजाई के लिए आलुओं के बीच में 20 सैं.मी. और मेड़ में 60 सैं.मी. का फासला हाथों से या मकैनीकल तरीके से रखें। फासला आलुओं के आकार के अनुसार बदलता रहता है। यदि आलू का व्यास 2.5-3.0 सैं.मी. हो तो फासला 60x15 सैं.मी. और यदि आलू का व्यास 5-6 सैं.मी. हो तो फासला 60x40 सैं.मी. होना चाहिए। 👉बीज की गहराई:- 6-8 इंच गहरी खालियां बनाएं। फिर इनमें आलू रखें और थोड़ा सा ज़मीन से बाहर रहने दें। 👉बिजाई का ढंग:- बिजाई के ट्रैक्टर से चलने वाली या ऑटोमैटिक बिजाई के लिए मशीन का प्रयोग करें। 👉बीज की मात्रा:- बिजाई के लिए छोटे आकार के आलू 8-10 क्विंटल, दरमियाने आकार के 10-12 क्विंटल और बड़े आकार के 12-18 क्विंटल प्रति एकड़ के लिए प्रयोग करें। 👉बीज का उपचार:- बिजाई के लिए सेहतमंद आलू ही चुने। बीज के तौर पर दरमियाने आकार वाले आलू, जिनका भार 25-125 ग्राम हो, प्रयोग करें। बिजाई से पहले आलुओं को कोल्ड स्टोर से निकालकर 1-2 सप्ताह के लिए छांव वाले स्थान पर रखें ताकि वे अंकुरित हो जायें। आलुओं के सही अंकुरन के लिए उन्हें जिबरैलिक एसिड 1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर एक घंटे के लिए उपचार करें। फिर छांव में सुखाएं और 10 दिनों के लिए हवादार कमरे में रखें। फिर काटकर आलुओं को मैनकोजेब 0.5 प्रतिशत घोल (5 ग्राम प्रति लीटर पानी) में 10 मिनट के लिए भिगो दें। इससे आलुओं को शुरूआती समय में गलने से बचाया जा सकता है। 👉खाद किलोग्राम प्रति एकड़:- यूरिया 165 किलोग्राम, सिंगल सुपर फास्फेट 155 किलोग्राम, पोटाष 40 किलोग्राम /एकड़ की दर से प्रयोग करें। 👉बिजाई का समय:- अधिक पैदावार के लिए बिजाई सही समय पर करनी जरूरी है। बिजाई के लिए सही तापमान अधिक से अधिक 30-32° सैल्सियस और कम से कम 18-20° सैल्सियस होता है। अगेती बिजाई 25 सितंबर से 10 अक्तूबर तक, दरमियाने समय वाली बिजाई अक्तूबर के पहले से तीसरे सप्ताह तक और पिछेती बिजाई अक्तूबर के तीसरे सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक करें। बसंत ऋतु के लिए जनवरी के दूसरे पखवाड़े बिजाई का सही समय है। 👉स्त्रोत:-Agrostar किसान भाइयों ये जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं और लाइक एवं शेयर करें धन्यवा।
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